नई दिल्ली, 31 मार्च । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यहां रविवार को रामलीला मैदान में एक रैली में इंडिया गठबंधन की ओर से पांच मांगें रखीं, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की तत्काल रिहाई की मांग भी शामिल है।
उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में समान अवसर की जरूरत को रेखांकित करने वाली मांगों की घोषणा की। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग को किसी भी अनुचित प्रभाव से मुक्त और निष्पक्ष चुनावी माहौल सुनिश्चित करना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “मतदान निकाय से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी एजेंसियों द्वारा किसी भी राजनीतिक रूप से प्रेरित जांच को रोकने का आग्रह किया जाता है, जो संभावित रूप से चुनावी नतीजों में हेरफेर कर सकती है।”
कांग्रेस नेता ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए गिरफ्तार किए गए प्रमुख विपक्षी हस्तियों, अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन की तत्काल रिहाई की मांग की।
उन्होंने चुनाव के समय राजनीतिक दलों को आर्थिक रूप से कमजोर करने के उद्देश्य से किए गए किसी भी प्रयास को रोकने की मांग की।
उन्होंने जो पांचवीं मांग की, वह मनी लॉन्ड्रिंग और जबरन वसूली के मामलों में भाजपा की कथित संलिप्तता की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग थी।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने संबोधन में सत्तारूढ़ भाजपा को एक रिमांडर जारी किया, और कहा : “मुझे विश्वास है कि वे (भाजपा) एक भ्रम में फंस गए हैं।”
रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह जनसभा ‘अनेकता में एकता’ का प्रतीक है।
खड़गे ने कहा, “हमारे विविध परिदृश्य में एकता कायम है, जो इस रैली के आयोजन के पीछे प्रेरक शक्ति है। इस जनसभा का एकमात्र उद्देश्य विपक्ष के बीच एकता बनाना है। जब तक हम पीएम मोदी और उनकी विचारधारा वालों को सत्ता से नहीं हटाएंगे, तब तक देश समृद्ध नहीं हो सकता।”
कांग्रेस प्रमुख ने यह भी खुलासा किया : “कल मैंने भाजपा प्रमुख जे.पी.नड्डा से मुलाकात की और बताया कि इस चुनाव में निष्पक्षता की कमी है, क्योंकि हमारी पार्टी के फंड में पहले ही गड़बड़ी हो चुकी है।”
इसके अलावा, खड़गे ने पीएम मोदी पर “विभिन्न राज्यों में भाजपा सरकारों को सुविधा देने, मगर विपक्षी दलों और नेताओं को डराने-धमकाने के लिए संस्थानों का दुरुपयोग करने” का आरोप लगाया।
खड़गे ने कहा, “आपको लोकतंत्र और तानाशाही के बीच किसे चुनना है, यह निर्णय लेना चाहिए। भाजपा और आरएसएस जहर के समान हैं। इनका जरा सा भी स्वाद लेने से घातक परिणाम होते हैं।”
इंडिया गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं ने अब खत्म हो चुकी दिल्ली शराब नीति से संबंधित कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में रैली की।
यह रैली आम आदमी पार्टी (आप) ने बुलाई थी। रैली में मौजूद नेताओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार, सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, कल्पना सोरेन (हेमंत सोरेन की पत्नी), समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव और आप नेता समेत गोपाल राय, तृृृृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ ब्रायन और द्रमुक के प्रतिनिधि शामिल थे।