विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने आज कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पद छोड़ देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है, क्योंकि उनके अपने मंत्रियों और विधायकों ने उनके नेतृत्व में विश्वास खो दिया है।
आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से ही मंत्रियों, विधायकों और पार्टी नेताओं में अपने नेतृत्व के प्रति नाराजगी है।
उन्होंने कहा, “राज्य सरकार को राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह हुआ और छह विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। यहां तक कि लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी राज्यसभा चुनाव में हार के बाद अपने इस्तीफे की घोषणा की थी।”
ठाकुर ने कहा कि अब कैबिनेट में सबसे वरिष्ठ मंत्री का बेटा अपने पिता के मंत्रिमंडल से इस्तीफे की बात कर रहा है। उन्होंने कहा, “विक्रमादित्य सिंह जैसे मंत्री को शांत कर दिया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है।”
ठाकुर ने पुलिस भर्ती मामले में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोपों पर राज्य सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “आज पुलिस अभ्यर्थी खुद भर्ती में धांधली के आरोप लगा रहे हैं और सरकार जांच कराने को तैयार नहीं है। राज्य सरकार इस मामले में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। सरकार को मामले में तथ्य सार्वजनिक करने चाहिए।”
ठाकुर ने कहा कि अगर पुलिस भर्ती में नकल के आरोप हैं तो परीक्षाएं दोबारा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले में शव से मिली पेन ड्राइव फॉर्मेट की गई थी, तो पुलिस भर्ती में सीसीटीवी फुटेज नष्ट होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने दुख जताते हुए कहा कि पिछले अढ़ाई साल के कांग्रेस शासन में हिमाचल हर क्षेत्र में पिछड़ गया है।
विपक्ष के नेता ने कहा, “कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान पांच साल के कार्यकाल में पांच लाख नौकरियां देने का वादा किया था। शिक्षित युवाओं की हताशा के बावजूद इस गारंटी को पूरा करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।”
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