राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज कहा कि उनकी सरकार ने केन्द्र सरकार से राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) में कटौती के कारण वित्तीय बाधाओं के बावजूद कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं और 10 में से छह गारंटियों को पूरा किया है।
शुक्ला ने विधानसभा के 16 दिवसीय बजट सत्र के पहले दिन सदन को संबोधित किया। सत्र 28 मार्च को समाप्त होगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया और विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने उनका स्वागत किया।
राज्यपाल ने डेढ़ घंटे में हिंदी में 53 पन्नों का भाषण दिया। उन्होंने कहा, “राज्य वित्तीय संकट का सामना कर रहा है क्योंकि राज्यों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा खत्म हो रहा है और 2025-26 के दौरान आरडीजी घटकर 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगा। हालांकि, इससे विकास की गति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि अपर्याप्त संसाधनों वाला पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल केंद्रीय अनुदान पर निर्भर है।
शुक्ला ने कहा कि 2025-26 के लिए बजट अनुमान 6,270 करोड़ रुपये है, “इससे पता चलता है कि मेरी सरकार ने आरडीजी में कमी के बावजूद पूंजीगत व्यय में कमी नहीं आने दी है। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने कहा कि ‘स्वच्छ और हरित हिमाचल’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा, “मेरी सरकार ने लोगों से की गई छह प्रमुख चुनावी गारंटियां पूरी की हैं, जिनमें पुरानी पेंशन योजना की बहाली, महिलाओं को 1,500 रुपये, 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्टार्ट-अप स्वरोजगार योजना का शुभारंभ, सभी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई और गाय और भैंस के दूध की कीमत में वृद्धि शामिल है।”
उन्होंने कहा, “30,929 पात्र महिलाओं को 21.93 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है। मेरी सरकार ने बेटियों को बेटों के समान अधिकार देने के लिए हिमाचल प्रदेश भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1972 में भी संशोधन किया है।”
राज्यपाल ने कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई कई योजनाओं की जानकारी दी, जिसमें फसल विविधीकरण, प्राकृतिक खेती और सौर खेती के माध्यम से फसल संरक्षण शामिल है। उन्होंने कहा कि रेल नेटवर्क, हवाई संपर्क और सड़क नेटवर्क के विस्तार के माध्यम से कनेक्टिविटी में सुधार के प्रयास चल रहे हैं, जिससे पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
राज्यपाल ने कहा कि उनकी सरकार ने शिमला, कुल्लू और मंडी के समेज में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित परिवारों को राहत के रूप में 535 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। उन्होंने कहा कि सुख आश्रय योजना अनाथ बच्चों को वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं प्रदान कर रही है, जिन्हें सरकार ने ‘राज्य के बच्चों’ के रूप में अपनाया है।
उन्होंने कहा, “शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए गए हैं, जिनमें युक्तिकरण, स्कूल क्लस्टर बनाना और शिक्षकों तथा छात्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अनुभव दौरे शुरू करना शामिल है।”