धर्मशाला, 25 फरवरी
फरवरी में अचानक तापमान बढ़ने से राज्य में फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एचके चौधरी के मुताबिक, अगर यही स्थिति अगले एक-दो सप्ताह तक बनी रही तो गेहूं की उपज में 15-25 फीसदी और सब्जियों की पैदावार में 25-30 फीसदी की गिरावट आएगी
उन्होंने कहा कि मौजूदा उच्च तापमान के कारण, राज्य के अधिकांश हिस्सों में गेहूं की फसल सामान्य से पहले प्रजनन चरण में प्रवेश कर सकती है। फसल समय से पहले परिपक्वता अवस्था में भी प्रवेश कर सकती है, जिससे महत्वपूर्ण उपज हानि हो सकती है। उन्होंने कहा कि उच्च तापमान का प्रतिकूल प्रभाव राज्य के कुछ निचले हिस्सों में खड़ी फसल पर पहले से ही दिखाई दे रहा है।
तोरिया-सरसों में पुष्पन पूर्ण हो चुका है और फसल बीज बनने की अवस्था में है। यदि वर्तमान मौसम की स्थिति एक और पखवाड़े तक बनी रहती है तो इसके समय से पहले परिपक्व होने की उम्मीद है। इससे ऐसी फसलों में काफी उपज हानि हो सकती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या पर्याप्त पानी सुनिश्चित करने से फसलों को बचाया जा सकता है, वीसी ने कहा कि फसलों की हल्की और लगातार सिंचाई सुनिश्चित करके उच्च तापमान के प्रतिकूल प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। हालांकि, मटर, फूलगोभी, गोभी और जड़ वाली फसलों के मामले में उपज में काफी नुकसान होगा।
कृषि विभाग के सूत्रों ने कहा कि मौसम की स्थिति के कारण फसल क्षति के लिए किसानों को मुआवजा देने की कोई नीति नहीं थी।
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