रोहतक जिले के कई गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है, कृषि क्षेत्रों में जमा पानी अब सड़कों, गलियों, स्कूलों और अन्य परिसरों में भी जलमग्न हो गया है।
जिले में हजारों एकड़ में उगाई गई धान, बाजरा, कपास और ज्वार की खड़ी फसलें जलभराव के कारण नष्ट हो गई हैं। जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग ने अतिरिक्त पानी निकालने के लिए पम्पिंग स्टेशन स्थापित किए हैं।
सैमन गाँव के करमवीर लोहान ने दुख जताते हुए कहा, “हमारा गाँव पूरी तरह से डूब चुका है। सड़कें, गलियाँ, घर और सार्वजनिक इमारतें पानी में डूब गई हैं। खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं और इन हालात में गेहूँ की बुवाई भी नामुमकिन लग रही है।”
रोहतक जिले के महम, कलानौर और सांपला ब्लॉक के कई गाँव लगातार बारिश और खेतों में जलभराव के कारण ऐसी ही समस्याओं का सामना कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श के लिए जिले के सांपला कस्बे में अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की एक बैठक आयोजित की गई।
बैठक के बाद किसान सभा ने उन प्रभावित किसानों को तत्काल राहत देने की मांग की जिनकी फसलें अत्यधिक बारिश और जलभराव के कारण नष्ट हो गई हैं।
सभा के जिला अध्यक्ष प्रीत सिंह ने 2022 के लंबित फसल-नुकसान मुआवजे का प्रावधान करने की मांग की। सभा की स्थानीय इकाई के सचिव नवीन कुलताना ने भी जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारियों से कृषि क्षेत्रों से पानी की निकासी में तेजी लाने का आग्रह किया।
इस बीच, महम क्षेत्र के प्रमुख निवासियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने रोहतक के उपायुक्त सचिन गुप्ता से मुलाकात की और उन्हें गांवों में व्याप्त बाढ़ जैसी स्थिति से अवगत कराया।
प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विधायक उमेद सिंह, हरियाणा विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संगठन महासंघ (एचएफयूसीटीओ) के अध्यक्ष डॉ. विकास सिवाच और कर्नल अशोक शामिल थे। उन्होंने उपायुक्त से जलभराव की चिरस्थायी समस्या के स्थायी समाधान का अनुरोध किया। निवासियों ने मांग की कि ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल क्षति दावे दर्ज करने की अंतिम तिथि बढ़ाई जाए ताकि प्रभावित किसान अपना नुकसान दर्ज करा सकें।