केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित भारत जी राम जी’ पर एक लेख साझा किया है। केंद्रीय मंत्री ने लिखा कि कल्याणकारी सुधारों पर सार्वजनिक बहस न केवल जरूरी है बल्कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छी भी है। केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को नए कानून के फायदों पर एक ब्लॉग लिखते हुए समझाया कि नया कानून पिछले अधिकारों को कमजोर या कम नहीं करता है, बल्कि सीधे और पूरी ईमानदारी से कमियों को दूर करता है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखा कि विकसित भारत जी राम जी की सबसे अहम विशेषता यह है कि यह हर ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिनों के मजदूरी वाले रोजगार की कानूनी गारंटी देता है। यह व्यवस्था मौजूदा ढांचे से आगे बढ़ते हुए मनरेगा के समय के अयोग्यता प्रावधानों को हटाती है और आवेदन के 15 दिनों के भीतर रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता देने को कानूनी अधिकार बनाती है।
मंत्री ने आगे लिखा कि ग्रामीण रोजगार व्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या इरादों की नहीं, बल्कि संरचनात्मक कमियों की थी, जिन्हें यह बिल दूर करने की कोशिश करता है। उन्होंने पहले बिल के प्रावधानों को ध्यान से पढ़ने का भी सुझाव दिया है।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत जी राम जी अधिकारों को कमजोर नहीं करता, बल्कि उन्हें ज्यादा विश्वसनीय और लागू करने योग्य बनाता है। पारदर्शिता, सोशल ऑडिट, शिकायत निवारण और जवाबदेही को कानूनी रूप से मजबूत किया गया है ताकि मजदूरों को उनका हक समय पर मिल सके।
केंद्रीय मंत्री ने आलोचकों की ओर से उठाई गई मांग-आधारित रोजगार के कमजोर होने की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि बिल सरकार पर स्पष्ट कानूनी दायित्व डालता है। साथ ही, रोजगार को उत्पादक सार्वजनिक संपत्तियों के निर्माण से जोड़कर जल सुरक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और आजीविका को मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह योजना जबरदस्ती का केंद्रीकरण नहीं है। ग्राम सभाओं और पंचायतों की भूमिका को बरकरार रखते हुए स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजनाएं बनाई जाएंगी। विकसित भारत जी राम जी बिल 2005 रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया, जिससे प्रमुख ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में बड़े बदलाव का रास्ता साफ हो गया।


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