December 19, 2024
Uttar Pradesh

साध्वी गीता ने संभल के प्राचीन शिव मंदिर में की पूजा, कहा- ‘सीएम योगी के प्रयास से भगवान का मंदिर हमें मिला’

Sadhvi Geeta worshipped at the ancient Shiva temple in Sambhal, said- ‘We got the temple of God due to the efforts of CM Yogi’

संभल, 19 दिसंबर । उत्तर प्रदेश की एससी-एसटी आयोग की सदस्य साध्वी गीता बुधवार को संभल पहुंची। यहां पर उन्होंने 46 साल बाद खुले शिव मंदिर में पूजा अर्चना की। साध्वी गीता का कहना है कि संभल के कंकड़ कंकड़ में भगवान शिव हैं।

साध्वी गीता ने 46 साल बात खुले प्राचीन मंदिर में दर्शन के बाद पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि बहुत ही हर्ष का विषय है। बहुत खुशी भी हो रही है दिल बहुत दुखी भी है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल इसलिए दुखी है क्योंकि हमारे भोलेनाथ और बजरंगबली को मुस्लिम समाज के लोगों ने लुप्त करने का काम किया। इस क्षेत्र में हिंदू समुदाय के लोग रहते थे।

साध्वी गीता ने आरोप लगाया कि 46 साल पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिंदू समुदाय के लोगों के साथ बहुत अत्याचार किया। उनके घरों को जला दिया गया। उनमें जिंदों में आग लगा दी। इस कारण मजबूरन यहां से हिंदू समुदाय के लोगों ने पलायन किया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शिव मंदिर को लुप्त करके अपना घर बना लिया। मंदिर के बाहर जो मूर्तियां थी उनको तोड़ने का कम किया। लेकिन पुलिस प्रशासन की मदद और सीएम योगी के प्रयास से 46 साल पुराना भगवान का मंदिर हमें मिला है। इससे हिंदू समाज में खुशी की लहर है। पूरे देश में आज संभल की चर्चा हो रही है।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे पता नहीं कितने मंदिर संभल में मिलने वाले हैं। यहां कंकड़ कंकड़ में शिव हैं। यहां मंदिर में आज हम पूजा करने आए हैं, लोग पूजा अर्चना कर रहे हैं। मन बहुत ही खुश है।

संभल में बिजली चोरी के सवाल के जवाब में साध्वी गीता ने कहा कि संभल के सांसद के संरक्षण में बिजली की चोरी हो रही है। ऐसे व्यक्ति को सांसद कहने का या संसद में रहने का कोई अधिकार नहीं है। इतने बड़े पद पर रहकर इतनी नीच हरकत करना ठीक नहीं है। उनके बगैर तो यहां पत्ता भी नहीं हिला, तो ये बिजली चोरी कौन करवा रहा था।

बता दें कि संभल में इस मंदिर को प्रशासन ने शनिवार को खुलवाया था। प्रशासन की टीम इलाके में बिजली चोरी पकड़ने गई थी और इसी दौरान ये शिव मंदिर मिला था। मंदिर अब अपने पुराने स्वरूप में दिखाई देने लगा है और यहां पूजा पाठ शुरू किया गया है।

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