सागर परिक्रमा के मिशन पर निकली भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए ने बेहद खतरनाक समुद्री रास्ते को पार किया है। तेज हवाओं और ऊंची खतरनाक लहरों वाले इस समुद्री क्षेत्र को ‘केप ऑफ गुड होप’ कहते हैं। नौसेना की बोट तारिणी पर सवार महिला अधिकारी विश्व सागर परिक्रमा के मिशन को पूरा कर वापस हिंदुस्तान लौट रही हैं।
साउथ अफ्रीका से भारत की ओर लौटते समय इस महिला चालक दल ने प्रतिष्ठित केप ऑफ गुड होप को सफलतापूर्वक पार किया है। भारतीय नौसेना का कहना है कि नेवी अधिकारियों की इस जलयात्रा में यह एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।
नौसेना के मुताबिक, दक्षिणी महासागर के चुनौतीपूर्ण जलमार्ग में सफलतापूर्वक नौकायन एक बड़ी चुनौती रही। इस चुनौती को पूरा किया गया है। समुद्री मार्ग को पार करते समय चालक दल ने तीन प्रमुख केप- केप ऑफ गुड होप, केप लीउविन और केप हॉर्न को पार किया है। इन जटिल जलमार्गों को पार करने के बाद, चालक दल अब दृढ़ संकल्प और साहस से प्रेरित होकर भारत लौट रहा है।
यह उल्लेखनीय उपलब्धि चालक दल के असाधारण नाविक कौशल और टीम वर्क को दर्शाती है। यह भारतीय नौकायन के लिए एक नया मानदंड भी स्थापित करती है और राष्ट्र को प्रेरित करती है।
नौसेना का कहना है कि इस महिला चालक दल की यात्रा वैश्विक समुद्री अन्वेषण और साहसिक कार्य में भारत की बढ़ती उपस्थिति का प्रमाण है। भारतीय नौसेना की इन महिला अधिकारियों का सागर परिक्रमा अभियान अपने अंतिम चरण में है।
लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए करीब 40 हजार किलोमीटर की बेहद जटिल सागर परिक्रमा की यात्रा पूरी करके मई महीने में भारत पहुंचेगी। इसी सप्ताह को दोनों साउथ अफ्रीका के केप टाउन से भारत के लिए रवाना हुई हैं। केपटाउन में इनसे दक्षिण अफ्रीका में भारत के उच्चायुक्त प्रभात कुमार, वेस्टर्न केप के उपाध्यक्ष रेगन एलन, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर जोंटी रोड्स, गोल्डन ग्लोब रेस 2022–23 की विजेता और प्रसिद्ध एकल समुद्र यात्री कर्स्टन न्यूसेफर ने मुलाकात की थी। इस दौरान विश्व सागर परिक्रमा पर निकली इन महिला नाविकों का उत्साहवर्धन किया गया।
सागर परिक्रमा का यह समुद्री मार्ग अपनी तेज हवाओं, ऊंची लहरों और अप्रत्याशित मौसम के लिए जाना जाता है। यहां अलग-अलग क्षेत्र की विभिन्न परिस्थितियां अनुभवी नाविकों की भी कड़ी परीक्षा लेती हैं। कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां समुद्री यात्रा नाविकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इन सभी चुनौतियों को पार करके दोनों महिला अधिकारी मई के अंत तक गोवा पहुंच रही हैं।