संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान, राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने संसद के मुख्य द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि छोटे साहिबजादे की शहादत की स्मृति में मनाए जाने वाले दिन का नाम “वीर बल दिवस” से बदलकर “साहिबजादे शहीदी दिवस” कर दिया जाए।
अपनी मांग को स्पष्ट करते हुए सीचेवाल ने कहा कि 9 दिसंबर को उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए “वीर बाल दिवस” का नाम बदलकर “साहिबजादे शहादत दिवस” करने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा कि इस दिन का नामकरण करते समय सिख समुदाय की भावनाओं की अनदेखी की गई और सिखों ने शुरू से ही इस नाम का विरोध किया है। सीचेवाल ने इस बात पर जोर दिया कि साहिबजादे केवल बच्चे नहीं हैं; वे पूरे सिख जगत के लिए पूजनीय आध्यात्मिक व्यक्तित्व हैं।
आज सुबह संसद सत्र शुरू होने से पहले, संत सीचेवाल ने संसद के प्रवेश द्वार पर विरोध प्रदर्शन करते हुए दोनों हाथों में तख्तियां पकड़ी हुई थीं। विरोध प्रदर्शन शुरू करने से पहले उन्होंने सिख नारा “बोले सो निहाल” लगाया।
सीचेवाल ने आगे बताया कि उन्हें श्री अकाल तक़्त साहिब से एक पत्र मिला है, जिसमें कहा गया है कि सिख समुदाय “वीर बल दिवस” नाम का कड़ा विरोध करता है, जिसे 2022 से साहिबजादों की स्मृति में राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। पत्र में पंजाब के सभी सांसदों से केंद्र सरकार पर दबाव डालने का आग्रह किया गया है ताकि इस नाम को बदला जा सके।
उन्होंने आगे कहा कि 15 दिसंबर को उन्होंने संसद में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाने का इरादा किया था, लेकिन भाजपा द्वारा व्यवधान और हंगामे के कारण शून्यकाल की कार्यवाही नहीं हो सकी और यह मुद्दा अनसुलझा रह गया।
संत सीचेवाल ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में केवल एक दिन शेष रहते हुए उन्होंने इस संवेदनशील मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा पूरे सिख समुदाय से संबंधित है और प्रत्येक सिख और प्रत्येक पंजाबी को इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठानी चाहिए।

