समाजवादी पार्टी के प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव के गौशाला और गोमूत्र को लेकर दिए गए विवादित बयान से संत समाज में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिल रही है। हरिद्वार के साधु-संतों ने उनके बयान को सनातन धर्म पर सीधा हमला बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
अखिलेश यादव ने कन्नौज में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था, “भाजपा वालों को दुर्गंध पसंद है, इसलिए गौशाला बनवा रहे हैं। हमें सुगंध पसंद है, इसलिए इत्र पार्क बनवा रहे हैं।” उनके इस बयान के बाद से ही राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मच गई है।
हरिद्वार के संत समाज ने अखिलेश यादव के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे समाज में वैमनस्य फैलाने की कोशिश बताया है। साधु-संतों का कहना है कि गौशाला को लेकर इस तरह की टिप्पणी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का अपमान है।
महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि (जूना अखाड़ा) ने कहा, “गौशाला सनातन धर्म का अभिन्न हिस्सा है। यहां बेसहारा और बीमार गायों की सेवा की जाती है, जो मानवता और धर्म दोनों का प्रतीक है। क्या धार्मिक आस्थाओं पर हमला करके राजनीति चमकाना उचित है?”
वहीं, उज्ज्वल पंडित (तीर्थ पुरोहित) ने कहा, “गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि हमारी आस्था और संस्कृति का केंद्र है। अखिलेश यादव को अपने इस बयान पर देशभर के हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए।”
दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने भी अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव भगवान कृष्ण के वंशज नहीं, बल्कि जरासंध से उनका रिश्ता है। उन्हें गौशाला और गोमूत्र से इतनी नफरत है, तो उन्हें दूध और मक्खन का सेवन भी छोड़ देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रूप से भी गोमूत्र से कई बीमारियों का इलाज संभव है, जिसमें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज भी शामिल है। संत समाज ने अखिलेश यादव से बयान पर सार्वजनिक माफी की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे बयान न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं, बल्कि समाज में फूट डालने का भी काम करते हैं।
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