January 3, 2025
Uttar Pradesh

संभल : देवस्थान और आंवले के पेड़ पर दावा, प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

Sambhal: Claim on Devasthan and Amla tree, memorandum submitted to administration

संभल, 31 दिसंबर । उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के बाद रोज नए-नए किस्से सुर्खियों में हैं। इसी बीच कश्यप समाज ने यहां पर जामा मस्जिद के पास बन रही पुलिस चौकी के पास एक देवस्थान और आंवले के पेड़ पर दावा किया गया है। उसे लेकर एक ज्ञापन सौंपा गया है।

संभल की शाही मस्जिद के सामने बनी चौकी के बराबर में एक टीले पर देवस्थान को लेकर दावा किया गया। दावा करने वाले कश्यप समाज का कहना है कि पहले यहां एक पेड़ हुआ करता था और उस पेड़ की पूजा की जाती थी। यह पहले कश्यप समाज का देव स्थान था। इस मामले को लेकर अपर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा गया है।

लोगों का कहना है कि यह पृथ्वीराज चौहान की होली जलाने वाली जगह है। होली के बाद कार्तिक महीने में यहां पेड़ पूजन हुआ करता था। इस पेड़ को 1978 के दंगे के बाद काट दिया गया था।

स्थानीय निवासी हिमांशु कश्यप ने बताया कि इस मामले में हमने अपने ज्ञापन में कहा है कि इस जगह हमारा देव स्थान है। इस जगह की हमारे समाज के लोग पूजा करते थे। इस जगह पर आंवला का पेड़ हुआ करता था। जिसका पूजन आंवला नवमी पर हुआ करता था, इसके साथ ही यह जगह पृथ्वीराज की होली के तौर पर भी प्रसिद्ध रही है।

ज्ञापन में कहा गया है कि उस जगह को असामाजिक तत्वों के जरिए तोड़ दिया गया और पेड़ को भी काट दिया गया। जब हमारे समाज के लोग उस जगह पूजा करने जाते तो उन्हें भगा दिया जाता था। अब उस जगह को टीले के तौर पर तब्दील कर दिया गया है और अब वह सार्वजनिक जमीन हो गई है, जहां बच्चे खेलते हैं।

यह भी दावा किया गया है कि उस जगह को कुछ असामाजिक तत्वों के जरिए सांठगांठ से बेच दिया गया है। इसके साथ ही उसके फर्जी दस्तावेज तैयार कर दिया गया है।

उन्होंने मांग की है कि उक्त देव स्थल पर पूर्व की तरह धार्मिक अनुष्ठान सुनिश्चित की जाय। असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

दूसरी तरफ, बावड़ी पर चल रही खुदाई को देखने आ रही भीड़ के बीच किसी ने नारेबाजी की। इसे लेकर चंदौसी के नाजिम ने निशाना साधा। नाजिम ने कहा कि यहां कुछ लोग आए थे। उन्होंने यहां पर धार्मिक नारेबाजी की है। यहां पर नारेबाजी उचित नहीं है। इस देश में कई धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। ऐसे नारे आपसी भाईचारे के लिए ठीक नहीं है। धार्मिक नारे ऐसे स्थलों पर नहीं लगाए जाएं।

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