पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने कल हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, संजौली के उत्कृष्टता केन्द्र से छह छात्रों के कथित अवैध निष्कासन के खिलाफ धरना दिया तथा मांग की कि छात्रों को तुरंत बहाल किया जाए।
एसएफआई एचपीयू कैंपस की पूर्व अध्यक्ष फालमा चौहान ने दावा किया कि विभिन्न छात्र-संबंधी मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करने के बाद छह छात्रों को प्रिंसिपल ने अवैध रूप से कॉलेज से निष्कासित कर दिया।
उन्होंने कहा कि यह उनके आंदोलन को खत्म करने के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि कॉलेज में छात्रा के साथ छेड़छाड़ की रिपोर्ट शर्मनाक है।
चौहान ने कहा, “छात्रों के एक समूह ने प्रिंसिपल से इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कॉलेज में लिंग-संवेदनशील समिति के गठन की भी मांग की। हालांकि, कॉलेज प्रशासन ने न केवल उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, बल्कि छात्रों के साथ कठोर व्यवहार भी किया और यहां तक कि उनके खिलाफ शारीरिक हिंसा भी की।”
उन्होंने कहा, “जब मामला बढ़ा तो कॉलेज प्रशासन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए छह छात्रों को अवैध रूप से निष्कासित कर दिया। एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद निष्कासन वापस नहीं लिया गया है, जिससे छात्रों को शिक्षा के अपने अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है।”
चौहान ने कॉलेज प्रशासन के “अधिनायकवादी” रवैये की आलोचना की, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि इससे निष्कासित छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि प्रशासन उठाई गई चिंताओं के प्रति उदासीन बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय के कुलपति से मुलाकात की और उनसे मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। हालांकि, विश्वविद्यालय को इसकी कोई चिंता नहीं है।
एसोसिएशन ने कॉलेज के साथ-साथ विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि निष्कासित छात्रों को बहाल नहीं किया गया तो वे अपना आंदोलन तेज कर देंगे।
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