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शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर बोले संजय निषाद, किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी सरकार

Sanjay Nishad said on the High Court's decision in the teacher recruitment case, the government will not allow injustice to anyone.

लखनऊ, 18 अगस्त । उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायलय की लखनऊ खंडपीठ के फैसले पर एनडीए के सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष एवं लोकसभा सांसद संजय निषाद ने रविवार को कहा कि सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नये सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। अदालत ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की चयन सूचियों को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने का निर्देश दिया।

कोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं, पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी संकट खड़ा हो गया है।

‘निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल’ (निषाद) के संस्थापक संजय निषाद ने कहा, “हाईकोर्ट के फैसले का मैं स्वागत करता हूं। अदालत ने किसी को दोषी करार नहीं दिया है, हमारी सरकार कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही है। किसी के साथ भी अन्याय न हो, इसके लिए हमारी सरकार विचार-विमर्श कर रही है।”

आरक्षण मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वह आरक्षण के ही आंदोलनकारी नेता हैं। आरक्षण कैसे खाए जाते हैं, यह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से पूछना चाहिए। उन्होंने कहा, “साल 2004 से 2014 तक जो केंद्र की सरकार थी, जिसमें उन्होंने एक ही शर्त रखी थी कि आरक्षण से निषादों की फाइल गायब कराओ, ताकि 18 फीसदी आबादी वाले निषाद न तो लोकसभा का चुनाव लड़ सकें, न ही विधानसभा का। अगर इनमें से नौ प्रतिशत को एसटी में डाला जाए, तो मानेंगे की बसपा और सपा हितैषी हैं।”

शिक्षक भर्ती मामले में राज्य की विपक्षी पार्टियां सपा और बसपा सत्ताधारी पार्टी भाजपा पर हमलावर हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, “यूपी में 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन सूची को रद्द कर तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित हो गया है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता और ईमानदारी से नहीं किया है।”

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा, “सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती भी आखिरकार भाजपा के घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार का शिकार हुई। यही हमारी मांग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नई सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल में बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके।”

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