पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, रोहतक में एमबीबीएस परीक्षा घोटाले की पुलिस जांच में पता चला है कि रैकेट चलाने वालों ने 2023 में एक निजी कॉलेज के छात्रों से 34 विषयों को पास करने के बदले में 1 करोड़ रुपये लिए थे। इनमें से कई छात्र फेल हो गए थे और परीक्षा पास करने के लिए बेताब थे।
एक सूत्र ने बताया, “इस सौदे के तहत रैकेटियरों ने प्रति विषय 2 लाख रुपये की न्यूनतम रिश्वत राशि तय की थी। 1 करोड़ रुपये में से एक आरोपी ने 50 लाख रुपये अपने पास रख लिए और बाकी रकम एक बिचौलिए को दे दी। हालांकि, नतीजा सौदे के मुताबिक नहीं निकला और रैकेटियर केवल 18 विषयों में ही पास हो पाए। इससे उन छात्रों में असंतोष फैल गया जिन्होंने मोटी रकम चुकाई थी, लेकिन परीक्षा में सफल नहीं हो पाए।”
सूत्र ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने उन सभी छात्रों के नाम बता दिए, जिन्होंने परीक्षा में पास कराने के बदले में पैसे दिए थे।पुलिस अब आरोपियों के बयानों की पुष्टि के लिए इन छात्रों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। सूत्र ने बताया कि जिरह की भनक लगते ही छात्रों में खलबली मच गई।
सूत्र ने कहा, “घोटाले का एक दिलचस्प पहलू यह है कि कई मामलों में, उत्तर पुस्तिकाएं विश्वविद्यालय कार्यालय से चुपके से बाहर निकलने के बाद उसी कॉलेज के छात्रों (वास्तविक परीक्षार्थी नहीं) द्वारा दोबारा जांची गईं। इनमें से कुछ छात्र या तो बिचौलिए थे या वास्तविक परीक्षार्थियों के दोस्त थे।”
सूत्र ने बताया कि रैकेटियरों ने 2024 में विश्वविद्यालय के एक अधिकारी से कई खाली उत्तर पुस्तिकाएँ प्राप्त की थीं। ये शीटें उस समय परीक्षा देने वाले वास्तविक छात्रों द्वारा नहीं बल्कि अन्य लोगों द्वारा भरी गई थीं। इस दौरान, एक निरीक्षक ने कथित तौर पर परीक्षा का पेपर लीक कर दिया, जिससे रैकेटियरों को खाली शीट पर एक साथ उत्तर भरने का मौका मिल गया। सूत्र ने बताया कि बाद में, इन खाली शीटों को मूल उत्तर पुस्तिकाओं से बदल दिया गया।
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज, करनाल के निदेशक डॉ. एमके गर्ग की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि जनवरी/फरवरी 2024 में स्वास्थ्य विश्वविद्यालय में आयोजित एमबीबीएस परीक्षा की कुल 46 खाली उत्तर पुस्तिकाएं गायब हो गई थीं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कुछ गायब उत्तर पुस्तिकाएं विश्वविद्यालय में अप्रैल/मई 2024 में आयोजित एक बाद की परीक्षा में इस्तेमाल की गई थीं।
इस घोटाले के सिलसिले में 41 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें 24 छात्र और 17 स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के कर्मचारी शामिल हैं। अब तक तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है।
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