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अनुसूचित जाति आयोग ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की

Scheduled Caste Commission recommends President's rule in West Bengal

नई दिल्ली, 16 फरवरी । राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने शुक्रवार को संदेशखाली हिंसा पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की।

एनसीएससी प्रमुख अरुण हलदर ने कहा, “आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की गई है।”

आयोग ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं का उत्पीड़न किया गया।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने महिलाओं का उत्पीड़न किया।

हलदर ने कहा कि संदेशखाली के लोगों ने अपने ऊपर हुए अत्याचार और हिंसा के बारे में विवरण साझा किया।

उन्होंने बताया कि पीड़ित लोगों ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा करने वाले समिति के सदस्यों के साथ अपना दर्द साझा किया। टीम ने संदेशखाली का दौरा किया जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कार्यकर्ताओं द्वारा स्थानीय लोगों पर कथित तौर पर अत्याचार किए गए थे।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मुख्य रूप से अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े समुदायों के लोग रहते हैं।

हलदर ने यह भी कहा कि उन्होंने लोगों से बात की जिन्होंने रोते हुए अपने दुःखद अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने टीम का सहयोग नहीं किया।

इस बीच कांग्रेस के पश्चिम बंगाल प्रमुख अधीर रंजन चौधरी को शुक्रवार को पुलिस ने संदेशखाली के रास्ते में रोक दिया। इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “मैं वहां जाने की कोशिश करूंगा। यह हमारा अधिकार है।”

दो केंद्रीय मंत्रियों समेत भाजपा सांसदों की छह सदस्यीय केंद्रीय टीम को भी संदेशखाली जाने से रोक दिया गया था।

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