October 31, 2025
Himachal

विज्ञान और प्रौद्योगिकी को टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाना चाहिए: एचपीयू कुलपति

Science and technology should lead to a sustainable future: HPU Vice Chancellor

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के कुलपति प्रोफेसर महावीर सिंह ने जैव विज्ञान विभाग में “स्थायी भविष्य और लचीली पृथ्वी के लिए वैज्ञानिक हस्तक्षेप और हरित अनुसंधान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया, जिसमें एक स्थायी ग्रह सुनिश्चित करने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पारिस्थितिक जिम्मेदारी को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

इस तरह के शैक्षणिक और पर्यावरणीय महत्व के सम्मेलन के आयोजन के लिए विभाग की सराहना करते हुए प्रोफेसर सिंह ने युवा शोधकर्ताओं से उभरती पारिस्थितिक चुनौतियों के लिए नवीन वैज्ञानिक समाधान विकसित करने का आग्रह किया।

हरित ऊर्जा एवं नैनो प्रौद्योगिकी केंद्र के सहयोग से आयोजित तथा प्रधानमंत्री के ‘उच्चतर शिक्षा अभियान’ (पीएम-यूएसएचए) द्वारा प्रायोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल वैज्ञानिक नवाचारों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना है।

पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के प्रोफेसर आरसी सोबती और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरपी टंडन ने मुख्य भाषण दिया, जिसमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और पर्यावरणीय क्षरण जैसी वैश्विक समस्याओं के समाधान में अंतःविषय सहयोग और हरित तकनीकी हस्तक्षेप के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर बीके शिवराम (अध्ययन संकायाध्यक्ष), प्रोफेसर एनएस नेगी (शोध निदेशक) और प्रोफेसर डीआर ठाकुर (जीवन विज्ञान संकायाध्यक्ष) भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने शैक्षणिक समुदाय में स्थायी वैज्ञानिक प्रथाओं को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय चेतना को बढ़ावा देने में विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया।

डॉ. गौरांग सिंधव (गुजरात विश्वविद्यालय), डॉ. राकेश सोनी (क्षेत्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला, धर्मशाला), डॉ. अरविंद सख्य (इग्नू, नई दिल्ली), डॉ. मनोरमा पत्री (केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश), डॉ. सलीम रेशी (बाबा गुलाम शाह विश्वविद्यालय, राजौरी), डॉ. जितेंद्र सिंह (रयात बाहरा विश्वविद्यालय, रोपड़) और डॉ. देवप्रिया ग्राबडु (केंद्रीय विश्वविद्यालय, पंजाब) सहित प्रख्यात वक्ताओं ने टिकाऊ और हरित विज्ञान के विविध पहलुओं पर अपना शोध प्रस्तुत किया।

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