कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में मंगलवार को ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की दुनिया’ विषय पर दो दिवसीय विज्ञान सम्मेलन शुरू हुआ। यह सम्मेलन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा हरियाणा राज्य विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
कुलपति सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि विकसित भारत-2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए आर्थिक महाशक्ति बनने का मार्ग विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान है। उन्होंने कहा कि युवा मस्तिष्कों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जिज्ञासु, तार्किक विचारक और रचनात्मक होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तभी वे नवाचार के माध्यम से विकसित भारत में उल्लेखनीय योगदान दे सकेंगे।
उन्होंने कहा, “जिज्ञासा, तार्किक सोच और रचनात्मकता के कारण डॉ. सी.वी. रमन नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले एशियाई और भारतीय वैज्ञानिक बनकर भारत को गौरवान्वित किया। इसी तरह, भारत के मिसाइल मैन के रूप में मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाई।”
उद्घाटन सत्र की मुख्य वक्ता केयू की पूर्व छात्रा और सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली की निदेशक प्रोफेसर रंजना अग्रवाल ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाकर विकसित भारत का सपना साकार किया जा सकता है। अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति चार सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें एक छात्र को शिक्षकों के माध्यम से शिक्षा प्राप्त होती है, स्व-अध्ययन, साथियों के साथ सीखना और अनुभव।
उन्होंने विद्यार्थियों से जिज्ञासु व्यक्तित्व बनने का आह्वान किया। इस अवसर पर दो दिवसीय सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया। सम्मेलन के सह-संरक्षक एवं विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर संजीव अरोड़ा ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य युवा मस्तिष्कों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विभिन्न शाखाओं का अन्वेषण करने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
कॉन्क्लेव के संयोजक एवं भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेश खरब ने कॉन्क्लेव की रूपरेखा प्रस्तुत की। क्रश हॉल में ‘विकसित भारत का विजन’ विषय पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में रजिस्ट्रार डॉ. वीरेंद्र पाल, डीन (शैक्षणिक मामले) प्रोफेसर दिनेश कुमार और प्रोफेसर एसपी सिंह भी उपस्थित थे।