जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के अध्यक्ष वीरेंद्र अग्रवाल ने केंद्रीय जेल का दौरा करते हुए ‘कौशल विकास’ पाठ्यक्रम शुरू किया। इस दौरान उनके साथ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं डीएलएसए की सचिव अनुराधा, जेल अधीक्षक सतनाम सिंह, अतिरिक्त अधीक्षक अर्पणजोत सिंह और अन्य जेल कर्मचारी मौजूद थे।
इस दौरान जज ने कैदियों से बातचीत की, उनकी शिकायतें सुनीं और जेल की सुविधाओं का निरीक्षण किया, जिसमें रसोई और परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता शामिल थी। उन्होंने महिला वार्ड में महिला कैदियों से भी बातचीत की और उनकी चिंताएँ सुनीं।
इस यात्रा का मुख्य आकर्षण कैदियों के लिए कौशल विकास पाठ्यक्रमों का उद्घाटन था, जिसका उद्देश्य कैदियों का पुनर्वास करना और उन्हें बेहतर भविष्य के लिए व्यावसायिक कौशल से लैस करना था। सत्र न्यायाधीश ने व्यक्तिगत परिवर्तन के महत्व पर जोर दिया और कैदियों से कानून का पालन करने वाले जीवन जीने के लिए प्रतिबद्ध जिम्मेदार नागरिक के रूप में जेल से बाहर निकलने का आग्रह किया।
इस कार्यक्रम में “संवाद” योजना का परिचय भी शामिल था, जो कानूनी परामर्श के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा प्रदान करती है। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) रूम सेटअप की भी समीक्षा की और कैदियों को इस पहल के लाभों के बारे में जानकारी दी।
अपने समापन भाषण में न्यायाधीश ने कैदियों को गलत कामों से दूर रहने और रिहा होने के बाद समाज में सकारात्मक योगदान देने की शपथ लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि किसी भी व्यक्ति को जेल में वापस नहीं जाना पड़ेगा और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
जेल प्राधिकारियों ने इस यात्रा के लिए आभार व्यक्त किया तथा सत्र न्यायाधीश को धन्यवाद ज्ञापन के साथ दिन का समापन किया।
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