भारतीय छात्र संघ (एसएफआई) की अखिल भारतीय समिति के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर, एसएफआई की राज्य इकाई ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पहलगाम हमले के हर पहलू की गहन जांच तथा घटना के पीछे के लोगों की तत्काल गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने की मांग की।
एसएफआई के राज्य संयुक्त सचिव उपेंद्र ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
उन्होंने हमले के बाद कश्मीरी छात्रों के साथ भेदभाव, धमकियों और उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं की भी निंदा की। उन्होंने कहा, “कश्मीरी छात्रों को ‘आतंकवादी’ करार देना और उन्हें छात्रावासों और उनके आवासों से निकालना देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने और एकता के लिए खतरनाक है।”
उन्होंने इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने की कई समूहों की कोशिशों के खिलाफ भी चेतावनी दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, उन्होंने सभी छात्रों से एकजुट रहने और विभाजनकारी आख्यानों का शिकार न होने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समाज के हर वर्ग को शामिल किया जाना चाहिए। “यह तथ्य कि सशस्त्र आतंकवादी देश में घुसपैठ करने और निर्दोष लोगों की जान लेने में सक्षम थे, रक्षा मंत्रालय की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठाता है।”
उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा मंत्रालय को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।’’
उपेन्द्र ने आगे कहा कि एसएफआई की हिमाचल प्रदेश राज्य समिति इस दुख की घड़ी में देश के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ी है तथा केंद्र सरकार से संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करती है।
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