कांगड़ा जिले के शाहपुर के निकट रैत के रहने वाले उभरते लोक गायक विक्रांत भंडराल को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जा रहे ‘पांचवें नदी महोत्सव – नदियों को बचाने का आह्वान’ के लिए चुना गया है। वे 21 सितंबर को दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में हिमाचली लोकगीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार हैं।
दिल्ली के लिए रवाना होते हुए उन्होंने द ट्रिब्यून से कहा, “चूंकि यह कार्यक्रम नदियों को समर्पित है, इसलिए यह हमारे पारंपरिक लोकगीतों को प्रदर्शित करने के लिए एकदम सही है। राज्य में प्रचलित अधिकांश गीत प्रकृति को उसके सर्वश्रेष्ठ रूप में दर्शाते हैं। हमारे राज्य में बहने वाली सभी नदियों का विशेष उल्लेख है, जिन्हें प्राचीन काल से ही पवित्र माना जाता है।”
उन्होंने ‘सायें-सायें मत कर रविये’ और ‘माये नी मेरिये’ जैसे गीतों के अलावा अन्य गीत भी चुने हैं, जो प्रकृति के इतने करीब हैं कि कार्यक्रम के मूल विषय को उचित ठहराते हैं।
शास्त्रीय गायन में स्नातकोत्तर विक्रांत को डॉ. जनमय गुलेरिया ने मार्गदर्शन और सलाह दी, जिन्होंने उन्हें गायन के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। संस्कृति मंत्रालय से यंग स्कॉलरशिप और जूनियर फेलोशिप प्राप्त करने वाले विक्रांत ने 30 से अधिक गाने गाए हैं।
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