N1Live National शहजाद पूनावाला का तंज, ‘100 चूहे खाकर कांग्रेस, इंडी गठबंधन और विपक्ष के लोग हज को चले’
National

शहजाद पूनावाला का तंज, ‘100 चूहे खाकर कांग्रेस, इंडी गठबंधन और विपक्ष के लोग हज को चले’

Shehzad Poonawala's taunt, 'Congress, Indi alliance and opposition people go to Haj after eating 100 rats'

नई दिल्ली, 31 जुलाई । लोकसभा में राहुल गांधी द्वारा जातिगत जनगणना कराने की मांग पर अनुराग ठाकुर से तीखी बहस हुई। इस प्रकरण पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आईएएनएस से खास बातचीत की और विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि 100 चूहे खाकर कांग्रेस, इंडी गठबंधन और विपक्ष के लोग हज करने चले हैं।

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आईएएनएस से कहा, “राहुल गांधी विपक्ष नेता के रूप में नहीं बल्कि लीडर ऑफ हिपोक्रेसी के रूप में बयान दे रहे हैं। अनुराग ठाकुर ने किसी की जाति नहीं पूछी। बल्कि उन्होंने ये कहा कि जिसको अपनी जाति का ज्ञान नहीं है, वो जाति जनगणना की बात कर रहे हैं। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। अगर जाति पूछना गाली है तो राहुल गांधी पूरे देश को गाली दिलाना चाह रहे हैं क्या?”

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए शहजाद पूनावाला ने आगे कहा, “राहुल गांधी ने एक नहीं बल्कि अनेक मंचों पर केवल राजनीतिक लोगों से ही नहीं बल्कि पत्रकारों से भी उनकी जातियां पूछी। शिवप्रसाद नाम के पत्रकार से उनकी जाति पूछी गई और उनकी पिटाई कर दी गई, जबकि वो भी ओबीसी समाज से आने वाले पत्रकार थे। राहुल गांधी ने कई बार प्रेस वार्ता में पत्रकारों से जाति पूछी है।”

उन्होंने आगे कहा कि अखिलेश यादव ने भी पत्रकारों से उनकी जाति पूछी और जब पता चला कि वो मिश्र हैं तो उस पर अभद्र टिप्पणी की। जो लोग स्वयं दूसरों को प्राइवेट संस्थानों के लोगों और पत्रकारों से उनकी जाति पूछ रहे हैं, वो आज आग बबूला हो रहे हैं।

राहुल गांधी और अखिलेश यादव जो एससी-एसटी के इतने शुभचिंतक बनते हैं, वो ये बताएं कि 1951 में नेहरू जी ने ही जातिगत जनगणना रोकी थी और 1980 से 1990 तक मंडल कमीशन की रिपोर्ट को किसने रोका था? राजीव गांधी ने 1990 में संसद में खड़े होकर मंडल कमीशन का विरोध किया था।

तमिलनाडु में 68 दलित मारे गए लेकिन इसपर राहुल गांधी और अखिलेश यादव चुप थे। कर्नाटक और हिमाचल में आपकी सरकार है। कर्नाटक में जातिगत जनगणना हो चुकी है, लेकिन उसको आप जारी नहीं कर रहे हैं। ये लोग ओबीसी और एससी-एसटी समाज के साथ दोहरा व्यवहार करते हैं।

Exit mobile version