इस वर्ष, शिमला और कुल्लू में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के तहत सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे ये दोनों जिले नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए सबसे संवेदनशील जिले बन गए हैं।
पुलिस के अनुसार, राज्य में अब तक दर्ज 1,218 मामलों में से एनडीपीएस अधिनियम के तहत 187 मामले शिमला जिले में दर्ज किए गए हैं, जो राज्य में सबसे अधिक है, इसके बाद कुल्लू है जहां एनडीपीएस अधिनियम के तहत अब तक 186 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह, मंडी में 149, बिलासपुर में 125, कांगड़ा में 99, ऊना में 84, सिरमौर में 76, बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ (बीबीएन) में 69, चंबा में 58, सोलन में 57, हमीरपुर में 41, किन्नौर में 23 और लाहौल और स्पीति जिले में छह मामले सामने आए हैं।
इस वर्ष (1 जनवरी से 30 सितम्बर तक) पुलिस ने लगभग 7.819 किलोग्राम हेरोइन, 205.7 किलोग्राम चरस, 570 किलोग्राम पोस्त, 33.7 किलोग्राम अफीम, 25.2 किलोग्राम गांजा, 5.21 ग्राम कोकीन और 6.09 ग्राम स्मैक भी जब्त की है।
शिमला जिले में पिछले 18 महीनों में 1,100 से ज़्यादा ड्रग तस्करों को गिरफ़्तार किया गया है। इसके अलावा, पुलिस ने कई अंतर-राज्यीय ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ किया है और शशि नेगी उर्फ शाही महात्मा, रवि गिरी और रंजन शर्मा जैसे कई सरगनाओं को भी गिरफ़्तार किया है। ये ड्रग सरगना ऊपरी शिमला क्षेत्रों में अवैध ड्रग रैकेट चलाने के लिए ज़िम्मेदार थे, जिसमें रोहड़ू, कोटखाई, ठियोग, कोटखाई आदि शामिल हैं।
हाल ही में, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुखू ने घोषणा की थी कि राज्य सरकार जल्द ही ‘नशा मुक्त हिमाचल अभियान’ शुरू करेगी, जो इस खतरे से निपटने के उद्देश्य से एक व्यापक राज्यव्यापी अभियान है। मुख्यमंत्री के अनुसार अभियान में तीन-आयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है, जिसमें रोकथाम, नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं की प्रारंभिक पहचान और नशे की लत के शिकार लोगों को समाज में वापस लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत, राज्य सरकार विभिन्न सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों तथा गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) सहित सभी प्रमुख हितधारकों को शामिल करेगी, जो नशीली दवाओं की समस्या के उन्मूलन में जमीनी स्तर पर सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
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