हिमाचल प्रदेश की राजधानी में एक निजी स्कूल ने सोमवार को अपना वह फैसला वापस ले लिया, जिसमें उसने विद्यार्थियों को ईद-उल-फितर के अवसर पर छोटी टोपी के साथ ‘कुर्ता-पायजामा’ पहनने और ‘पनीर’, ‘सेवइयां’ और सूखे मेवे के साथ ‘रोटी’ रोल लाने को कहा था।
स्थानीय दक्षिणपंथी संगठन देव भूमि संघर्ष समिति द्वारा शैक्षणिक संस्थान के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दिए जाने के बाद स्कूल को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। कुछ धार्मिक संगठनों और आम लोगों ने भी सोशल मीडिया पर इस मामले पर अपनी चिंता व्यक्त की।
निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूल ने ईद-उल-फितर समारोह से पहले आखिरी शुक्रवार, 28 मार्च के लिए विद्यार्थियों को निर्देश जारी किए। हालांकि, यह फैसला देवभूमि संघर्ष समिति को पसंद नहीं आया और उसने निर्देश को संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताया। समिति ने चेतावनी दी कि अगर फैसला वापस नहीं लिया गया तो वे स्कूल का घेराव करेंगे और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।
समिति के सदस्यों ने आरोप लगाया कि दुर्भाग्यवश हिमाचल प्रदेश में इस्लाम को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है तथा चेतावनी दी कि यदि निर्णय वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन शुरू किया जाएगा।
स्कूल प्राधिकारियों ने अपना निर्णय वापस ले लिया और कहा कि “हमारे बच्चों की सुरक्षा और भलाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है”। उन्होंने कहा, “नर्सरी से 2 तक की कक्षाओं के लिए ईद-उल-फितर का आयोजन युवा विद्यार्थियों को भारत की सांस्कृतिक विविधता की सराहना करने में मदद करने के उनके प्रयासों का एक हिस्सा था – ठीक उसी तरह जैसे हम होली, दिवाली और क्रिसमस मनाते हैं।”
अभिभावकों को भेजे गए एक संदेश में कहा गया, “इसका उद्देश्य विशुद्ध रूप से सांस्कृतिक शिक्षण अनुभव प्रदान करना था, इसमें किसी भी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान या प्रवर्तन नहीं था तथा इसमें भागीदारी पूर्णतः स्वैच्छिक थी।”
इसमें कहा गया है कि हाल में हुई गलतबयानी और संभावित व्यवधान की चिंता को देखते हुए, स्कूल ने शांति बनाए रखने और माहौल को सुरक्षित रखने के लिए कार्यक्रम को वापस लेने का निर्णय लिया है तथा छात्रों को हमेशा की तरह नियमित यूनिफॉर्म में स्कूल आना चाहिए।
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