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कर्नाटक में कांग्रेस को झटका : विधान परिषद ने मंदिर की 10% आय लेने के प्रस्ताव वाले विधेयक को खारिज किया

Shock to Congress in Karnataka: Legislative Council rejects bill proposing to take 10% of temple income

बेंगलुरु, 24 फरवरी । कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को विवादास्पद कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024 पर झटका लगा है। प्रस्‍ताव था कि अमीर मंदिरों की कुल आय का 10 प्रतिशत राज्‍य सरकार लेगी। इस आशय का विधेयक शुक्रवार को विधान परिषद में पारित नहीं हो सका।

जैसे ही भाजपा और जद (एस) के सदस्यों ने आपत्ति जताई, परिषद के उपसभापति एम.के. प्रणेश ने ध्वनि मत का आह्वान किया, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने खिलाफ में मतदान कर विधेयक को खारिज कर दिया।

सात सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में वोट किया, जबकि 18 सदस्यों ने इसके विरोध में वोट किया।

परिषद में विधेयक का प्रस्ताव रखते हुए परिवहन एवं मुजराई मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि मौजूदा नियमों के मुताबिक, सरकार को मंदिरों से 8 करोड़ रुपये मिल रहे हैं। रेड्डी ने कहा, नया नियम पारित होने के बाद सरकार को 60 करोड़ रुपये की कमाई होगी और इस फंड से ‘सी’ ग्रेड मंदिरों का प्रबंधन किया जाएगा।

यह कहते हुए कि राज्यभर में 34,165 ‘सी’ ग्रेड मंदिरों में 40,000 से अधिक पुजारी हैं, मंत्री ने कहा, “हम पुजारियों को घर बनाने और उनके बच्चों को छात्रवृत्ति देने के लिए धन देंगे। हम उन्हें बीमा कवर भी देते हैं।”

विधेयक का विरोध करते हुए परिषद में विपक्ष के नेता कोटा श्रीनिवास पुजारी ने कहा कि मंदिरों की आय से 10 फीसदी राशि वसूलना उचित नहीं है।

उन्‍होंने कहा, “यदि 100 करोड़ रुपये एकत्र किए जाते हैं, तो विधेयक के अनुसार 10 करोड़ रुपये सरकार को दिए जाने चाहिए। लेकिन, पहले खर्च में कटौती करनी होगी और फिर सरकार अपना हिस्सा ले सकती है। सरकार को ‘सी’ ग्रेड के मंदिरों के विकास के लिए 200 करोड़ रुपये देने चाहिए।”

भाजपा एमएलसी एन. रविकुमार ने कहा कि राज्य सरकार को मंदिरों से 10 फीसदी आय इकट्ठा करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।

उन्होंने कहा, “राज्य सरकार के लिए 60 करोड़ रुपये कोई बड़ी रकम नहीं है। मंदिरों को विकास कार्यों के लिए 300 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने चाहिए।”

इसके बाद मंत्री रेड्डी ने कहा कि वह सोमवार को विधेयक पेश करेंगे, जिस पर उपसभापति प्रणेश ने आपत्ति जताई और विधेयक को ध्वनि मत से पारित कराने को कहा।

विधेयक खारिज होने के बाद भाजपा सदस्यों ने सदन के अंदर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए, जबकि उनके कांग्रेस समकक्षों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय भीम’ के नारे लगाए।

यह विवादित विधेयक हालांकि बुधवार को कर्नाटक विधानसभा में पारित हो गया था।

इस बीच, सोशल मीडिया पर भाजपा ने दावा किया कि विधेयक के अनुसार, अन्य धर्मों से संबंधित व्यक्ति मंदिर प्रबंधन प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं।

भाजपा ने आरोप लगाया, “यह मुख्यमंत्री सिद्दरामैया का दूसरे धर्मों के लोगों की मदद से मंदिरों का खजाना खाली करने का दुर्भावनापूर्ण इरादा है, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने राज्य का खजाना खाली किया है।”

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