शूलिनी विश्वविद्यालय की डॉ. सृष्टि माथुर ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए, जाइलिटोल के उत्पादन के लिए पहली जैव-प्रौद्योगिकी विधि विकसित की है। जाइलिटोल एक प्राकृतिक, कम कैलोरी वाला स्वीटनर है, जिसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स केवल 7 है, जबकि चीनी का 68 है।
मधुमेह-अनुकूल विकल्प, बीयर उत्पादन के मुख्य उपोत्पाद, ब्रुअर्स स्पेंट ग्रेन (बीएसजी) को एक उच्च-मूल्यवान, पर्यावरण-अनुकूल चीनी विकल्प में परिवर्तित करके तैयार किया जाता है। यह नवाचार न केवल औद्योगिक कचरे को एक मूल्यवान संसाधन में परिवर्तित करता है, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हुए मधुमेह की बढ़ती चुनौती से निपटने में भी मदद करता है।
यह शोध शूलिनी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बायोइंजीनियरिंग एंड फूड टेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर दिनेश कुमार की देखरेख में किया गया। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप चार पेटेंट प्राप्त हुए हैं और यह पारंपरिक ज़ाइलिटॉल उत्पादन विधियों की तुलना में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने ज़ाइलिटॉल के इस्तेमाल को मंज़ूरी दे दी है और अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा इसे सामान्यतः सुरक्षित (GRAS) माना गया है। इस स्वीटनर का इस्तेमाल शुगर-फ्री चॉकलेट, च्युइंग गम, पेय पदार्थों और मधुमेह-अनुकूल मिठाइयों में किया जा सकता है, जिससे यह रोज़ाना सेवन के लिए उपयुक्त हो जाता है।

