सिरसा, 29 मई कम उपस्थिति के कारण निष्कासित किए गए एक छात्र को बहाल करने की मांग को लेकर एक सामाजिक संगठन के सदस्यों और ग्रामीणों ने मंगलवार को ओढां गांव में सरकारी आईटीआई के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
विरोध के बाद प्रिंसिपल ने मामले में हस्तक्षेप किया और प्रदर्शनकारियों को शांत कराया। आईटीआई में फिटर ट्रेड के छात्र नुहियांवाली गांव निवासी मनोज कुमार ने बताया कि घरेलू काम के कारण वह 10 दिन से क्लास में नहीं आ सका। उन्होंने कहा, “जब मैं मंगलवार को आईटीआई लौटा तो मुझे पता चला कि शिक्षक अमरदीप ने मुझे कक्षा से निकाल दिया है। मेरा नाम उपस्थिति रजिस्टर से हटा दिया गया था।”
मनोज ने बताया कि इसके बाद वह मंगलवार को दो बार आईटीआई गए और उन्हें भी यही जवाब मिला। इसके बाद मनोज ने इस मुद्दे को जनता अधिकार मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जसविंदर सिंह बब्बू के समक्ष उठाया। मंगलवार को संगठन के सदस्य और स्थानीय ग्रामीण आईटीआई पहुंचे और प्रिंसिपल अनिल कुमार और शिक्षकों से मिले।
उन्होंने प्रिंसिपल से मनोज को कक्षा में बैठने की अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन प्रिंसिपल ने कहा कि उसका नाम हटा दिया गया है और वे कुछ नहीं कर सकते। इसके बाद वे आईटीआई के मुख्य द्वार के बाहर धरने पर बैठ गए।
जसविंदर सिंह ने कहा, “संस्थान का प्रबंधन भेदभाव में लिप्त है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रिंसिपल ने एक ऐसे छात्र का पक्ष लिया जो छह महीने से कक्षाओं में नहीं आया है। उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन एक गरीब परिवार का छात्र किसी मजबूरी के कारण कक्षाओं में नहीं आ पाया, उसका नाम काट दिया गया। इससे साफ है कि प्रबंधन उसके साथ भेदभाव कर रहा है।”
करीब 30 मिनट तक चले प्रदर्शन के बाद प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ ने मामले में हस्तक्षेप किया और प्रदर्शनकारियों से बात की। इसके बाद मनोज को कक्षाओं में जाने की अनुमति दी गई।
घटना की जानकारी देते हुए अनिल कुमार ने बताया कि मनोज बिना कोई आवेदन या सूचना दिए कई दिनों तक अनुपस्थित रहा। प्रिंसिपल ने बताया कि उन्होंने दो बार उसके घर पर संदेश भेजा। उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी छात्र के साथ भेदभाव नहीं किया और अगर कोई छात्र छह महीने से कक्षाओं में नहीं आ रहा है, तो जरूर कोई मेडिकल समस्या होगी।