चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय (सीडीएलयू) के विधि प्रोफेसर राकेश कुमार ने गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय (जीजेयू), हिसार द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से रोके जाने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
विवाद तब शुरू हुआ जब जीजेयू ने 6 जून 2024 को सीडीएलयू और उच्चतर शिक्षा विभाग को डी-बार (मूल्यांकन प्रतिबंध) आदेश भेजा। इसके बाद सीडीएलयू के लॉ विभाग में सहायक प्रोफेसर कुमार ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए याचिका दायर की।
सुनवाई के दौरान सीडीएलयू अपना पक्ष प्रस्तुत करने में असफल रहा, जिसके कारण उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी कर विश्वविद्यालय को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए तलब किया।
कुमार ने डी-बार आदेश के संबंध में जीजेयू को कानूनी नोटिस भी दिया है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 27 सितंबर को तय की है। सीडीएलयू में लॉ डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर कुमार ने कहा कि जीजेयू का डी-बार ऑर्डर कई संस्थानों को भेजा गया, जिससे चिंताएं बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि जीजेयू और अन्य पक्षों का प्रतिनिधित्व कोर्ट में हुआ, लेकिन सीडीएलयू पेश नहीं हुआ।
परिणामस्वरूप, उच्च न्यायालय ने सीडीएलयू को सीधे नोटिस जारी कर मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।
यह मुद्दा तब उठा जब जीजेयू ने लापरवाही का हवाला देते हुए कुमार को एलएलएम द्वितीय वर्ष की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से रोक दिया। सीडीएलयू ने भी इसी तरह का कदम उठाया और अपना खुद का डी-बार आदेश जारी किया, जिसके तहत कुमार को एलएलएम की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से रोक दिया गया।
जवाब में कुमार ने विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बिना किसी पूर्व सूचना या बचाव का अवसर दिए लिया गया, जो विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन है।
कुमार का मानना है कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई एक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “किसी ने भी मेरे मामले में प्राकृतिक न्याय पर विचार नहीं किया और मुझे कभी भी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।”
सीडीएलयू के रजिस्ट्रार राजेश कुमार बंसल ने कहा कि विश्वविद्यालय का निर्णय जीजेयू की मूल्यांकन रिपोर्ट पर आधारित है। उन्होंने कहा कि सीडीएलयू नियमों का पालन करेगा और हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार ही कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा।