N1Live Entertainment छह महीने की रिसर्च, लोकल आर्ट और फोटोग्राफी से ‘लापता लेडीज’ का कैनवास सजाया : किरण राव
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छह महीने की रिसर्च, लोकल आर्ट और फोटोग्राफी से ‘लापता लेडीज’ का कैनवास सजाया : किरण राव

Six months of research, local art and photography created the canvas for 'Missing Ladies': Kiran Rao

किरण राव के निर्देशन में बनी फिल्म ‘लापता लेडीज’ को हाल ही में हुए फिल्मफेयर अवॉर्ड में 13 अवॉर्ड मिले थे। इस फिल्म में स्पर्श श्रीवास्तव, नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, छाया कदम और रवि किशन जैसे कलाकार हैं।

इसमें दो नई नवेली बहुओं की कहानी है, जो रेल यात्रा के दौरान गलती से बदल जाती हैं। फिर शुरू होता है हंसी, ड्रामा और जीवन के सबक का सफर। यह फिल्म नारी सशक्तीकरण पर एक ताजा नजरिया पेश करती है, जिसके लिए इसे खूब सराहा गया।

किरण राव ने इस फिल्म की सफलता के बारे में आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान किरण राव ने बताया कि फिल्म के लिए उन्होंने और उनकी टीम ने काफी रिसर्च की। इसके लिए उन्होंने छह महीने तक लोकल आर्ट और फोटोग्राफी की रिसर्च की, तब जाकर इसकी दुनिया पर्दे पर जीवंत हो सकी।

किरण राव ने प्रोडक्शन डिजाइन के बारे में बात करते हुए कहा, “मुझे यकीन था कि फिल्म का ज्यादातर असर तभी पड़ेगा जब हम एक ऐसी दुनिया गढ़ें जो नकली न लगे। इसमें भारतीय गांवों की असली खूबसूरती हो, बिना किसी बनावट के, बिना उसे चमकदार या आकर्षक दिखाने की कोशिश के। हमने लोकल आर्ट और क्राफ्ट से इंस्पायर होने से भी परहेज किया। इसलिए मेरे प्रोडक्शन डिजाइनर विक्रम सिंह और मैंने शूटिंग से पहले कम से कम छह महीने की रिसर्च और तैयारी की।”

उन्होंने कहा, “हमने खुद को पिछले 20 सालों के गांवों की ढेर सारी तस्वीरों में डुबोया नहीं, क्योंकि इतने वर्षों में काफी कुछ बदल चुका है। हम ऐसे गांव चाहते थे जो बदलाव की दहलीज पर खड़े हों, न ज्यादा पिछड़े, न बहुत पुराने समय में फंसे। जहां जया अपनी प्रिंटिंग वगैरह के लिए जाती है, उस छोटे शहर की भी नकल की, यानी गांव के पास वाले टाउन की असली फील। इसलिए विजुअल रिसर्च में खूब वक्त लगा। फोटोग्राफी स्टडी की, खासकर ग्रामीण घरों के बाहर-अंदर की ट्रेडिशनल पेंटिंग पर फोकस किया।”

यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है। वहां पर आप इस फिल्म को देख सकते हैं।

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