किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की जिला इकाई के कार्यकर्ताओं ने शंभू सीमा पर किसानों के “उत्पीड़न” और “पीड़ित” होने को उजागर करते हुए चल रहे आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए एक प्रदर्शन किया।
यहां गुर्जर धर्मशाला में एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों ने राज्य और केंद्र सरकारों पर किसानों को उनकी लंबित मांगों के समर्थन में दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति नहीं देकर अनावश्यक रूप से परेशान करने का आरोप लगाया।
प्रदर्शन की अध्यक्षता कर रहे जितेंद्र नंबरदार ने कहा कि देश में अन्नदाता पर अत्याचार जारी है और शंभू बॉर्डर पर मौजूदा स्थिति ने भाजपा और एनडीए सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है।
स्थानीय एसकेएम नेता महेंद्र सिंह चौहान और धर्म चंद गुगेरा ने कहा कि सरकार का वर्तमान रुख इस बात का संकेत है कि वह किसानों के अधिकारों को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, यहां तक कि अपनी नाराजगी व्यक्त करने और उसकी “गलत” नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने के लिए भी।
उन्होंने दावा किया कि यदि संकट का सौहार्दपूर्ण ढंग से समाधान नहीं किया गया तो इसका परिणाम व्यापक और गहन आंदोलन के रूप में सामने आएगा क्योंकि किसान अपनी न्यायोचित मांगों का समाधान चाहते हैं।
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के अनिश्चितकालीन अनशन को एकमात्र विकल्प बताते हुए उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति बिल्कुल भी चिंतित नहीं है। बाद में राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन डिप्टी कमिश्नर को सौंपा गया।
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