संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने देश भर में 13.59 लाख घरों के विद्युतीकरण के लिए रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत 6,487 करोड़ रुपए के कार्यों को मंजूरी दी है।
केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दूर-दराज के इलाकों में भी हर परिवार को बिजली की सुविधा मिले।
‘आरडीएसएस’ का उद्देश्य बिजली वितरण कंपनियों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर छूटे हुए घरों को बिजली से जोड़ना है।
इनमें प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के तहत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के परिवार, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीए-जेजीयूए) के तहत जनजातीय परिवार, पीएम-अजय के तहत अनुसूचित जाति के परिवार और वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत दूरदराज और सीमावर्ती क्षेत्रों के परिवार शामिल हैं।
ग्रिड कनेक्शन के साथ-साथ, सरकार रिन्यूएबल एनर्जी समाधानों को भी बढ़ावा दे रही है। नई सोलर पावर स्कीम के तहत, 30 जून तक 9,961 घरों को ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा प्रदान करने के लिए 50 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
यह अक्टूबर 2017 में शुरू की गई प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) की बड़ी सफलता के बाद आया है।
यह योजना पूरे भारत में लगभग 2.86 करोड़ घरों को बिजली प्रदान करने के बाद 31 मार्च, 2022 को समाप्त हो गई।
उत्तर प्रदेश 91.8 लाख घरों तक बिजली पहुंचाकर सबसे आगे रहा। बिहार 32.5 लाख घरों तक बिजली पहुंचाने के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जबकि मध्य प्रदेश में 19.8 लाख घरों, राजस्थान में 21.2 लाख घरों और ओडिशा में 24.5 लाख घरों में बिजली पहुंचाई गई।
छोटे राज्यों ने भी शानदार प्रगति दर्ज की, जिसमें सिक्किम ने 14,900 घरों, मिजोरम ने 27,970 घरों और हिमाचल प्रदेश ने 12,891 घरों का विद्युतीकरण किया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्र भी पीछे न छूटें।
अन्य प्रमुख योगदानकर्ताओं में असम के 23.2 लाख घर, झारखंड के 17.3 लाख घर, महाराष्ट्र के 15.1 लाख घर, पश्चिम बंगाल के 7.3 लाख घर और छत्तीसगढ़ के 7.9 लाख घर शामिल हैं।
राज्य मंत्री नाइक ने कहा कि सरकार हर इच्छुक घर तक बिजली पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने आगे कहा कि विश्वसनीय और सस्टेनेबल बिजली आपूर्ति न केवल जीवन स्तर में सुधार के लिए, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।