स्थानीय निधि लेखा समिति ने सोलन के उपायुक्त मनमोहन शर्मा को निर्देश दिया है कि वे जिले के सभी शहरी नगर निकायों की बैठक आयोजित करें तथा अव्ययित धन जैसे लंबित मुद्दों का समाधान करें तथा लेखापरीक्षा आपत्तियों का तीन माह के भीतर निपटारा करें।
समिति के अध्यक्ष एवं ज्वालामुखी विधायक संजय रतन की अध्यक्षता में गठित समिति ने जिले के सभी विभागों, संस्थाओं एवं निगमों के खातों की जांच की। उन्होंने कहा कि सुशासन एक सामूहिक जिम्मेदारी है तथा सभी अधिकारी एवं कर्मचारी इसके मुख्य घटक हैं।
समिति ने नालागढ़ नगर परिषद द्वारा निजी बैंक में धनराशि जमा करने पर आपत्ति जताई और सभी शहरी निकायों को इस उद्देश्य के लिए सरकारी बैंकों का उपयोग करने का निर्देश दिया। इसने सोलन नगर निगम को शहर के विभिन्न वार्डों में जल शुल्क में असमानता के मुद्दे को हल करने के साथ-साथ जल शक्ति विभाग की ओर 100 करोड़ रुपये से अधिक की लंबित देनदारी के मुद्दे को अगले कुछ हफ्तों में निपटाने का निर्देश दिया।
समिति ने कहा कि वह बाद में जांच करेगी कि निर्धारित समय में उसके सुझावों का पालन किया गया या नहीं। विभिन्न विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराने में बरती गई ढिलाई के कारण केंद्रीय निधियों के प्रावधान और परियोजनाओं के पूरा होने में देरी हो रही है। अधिकांश नगर निकायों में लेखापरीक्षा आपत्तियों के निपटारे में अधिकारियों का उदासीन रवैया भी उजागर हुआ।
समिति ने विद्यार्थियों की योजनाओं के लिए निर्धारित धनराशि के दुरुपयोग पर आपत्ति जताई तथा शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि धनराशि विद्यार्थियों की बेहतरी के लिए खर्च की जाए, न कि भवनों व अन्य उद्देश्यों पर।
एपीएमसी को सोलन और परवाणू में उचित बुनियादी ढांचा स्थापित करने का निर्देश दिया गया ताकि किसान अपनी उपज को सुविधाजनक तरीके से बेच सकें और उन्हें पिंजौर जैसे पड़ोसी स्थानों पर न जाना पड़े। एपीएमसी द्वारा सेब पर 1 प्रतिशत बाजार शुल्क लगाने का मुद्दा समिति के संज्ञान में लाया गया, जिसके बारे में कहा गया कि इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष उठाया जाएगा।
समिति के सदस्य चुराह विधायक हंस राज, ठियोग विधायक कुलदीप राठौर तथा कुटलैहड़ विधायक विवेक शर्मा ने बहुमूल्य सुझाव दिए। उपायुक्त ने समिति के सदस्यों का स्वागत किया तथा उन्हें आश्वासन दिया कि उनके सुझावों का अक्षरशः पालन किया जाएगा। समिति ने उन्हें निर्देश दिए कि वे सुनिश्चित करें कि अधिकारी विभिन्न विभागों के दिशा-निर्देशों के अनुसार धनराशि खर्च करें तथा उन्हें प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करें।
डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी की विस्तार गतिविधियों की कमी के लिए आलोचना की गई। समिति ने विश्वविद्यालय को और अधिक विस्तार गतिविधियाँ करने का निर्देश दिया ताकि कृषि समुदाय को इसके शोध कार्यों से लाभ मिल सके
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