राज्य में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार सुरेन्द्र पंवार सोनीपत विधानसभा क्षेत्र के कुल 224 मतदान केन्द्रों में से केवल 37 मतदान केन्द्रों पर ही जीत पाए।
भाजपा उम्मीदवार निखिल मदान ने 29,627 वोटों से चुनाव जीता। सोनीपत इन चुनावों में एक हॉट सीट थी, क्योंकि कांग्रेस ने यहां से मौजूदा विधायक सुरेंद्र पंवार को मैदान में उतारा था, जबकि भाजपा ने शहर के पहले मेयर निखिल मदान को उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा था।
पंवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध खनन मामले में 20 जुलाई को गिरफ्तार किया था और न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। 23 सितंबर को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया और वे अभियान में शामिल हो गए।
उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक अक्टूबर को सुरेंद्र पंवार के समर्थन में यहां सेक्टर 15 में जनसभा की थी और रोड शो भी किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर को 22 भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में गोहाना में रैली की थी और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने 29 सितंबर को भाजपा उम्मीदवार निखिल मदान के समर्थन में जनसभा की थी।
लेकिन सोनीपत, गोहाना, खरखौदा और राई के नतीजों ने कांग्रेस को चौंका दिया और भाजपा ने सोनीपत जिले की कुल छह में से सभी चार सीटों पर जीत हासिल कर ली।
सोनीपत शहर में कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका था क्योंकि शहर के 187 मतदान केंद्रों पर पंवार को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस को शहर के केवल 37 मतदान केंद्रों पर जीत मिली, जबकि भाजपा उम्मीदवार को शहर के 187 मतदान केंद्रों पर जीत मिली। भाजपा के निखिल मदान को शहर से कुल 84,827 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के सुरेंद्र पंवार को केवल 55,200 वोटों से ही जूझना पड़ा।
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पहली बार कांग्रेस को सोनीपत सीट पर राहुल गांधी की रैली और रोड शो करना पड़ा, जबकि यह पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का गढ़ माना जाता है। लेकिन इस रोड शो से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ और यहां से उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा। गोहाना और सोनीपत में पीएम मोदी और सीएम बिस्वा की रैलियों ने भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन किया।
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मनोज रिढाऊ ने कहा कि सोनीपत सीट पर नतीजे पार्टी के लिए बहुत चौंकाने वाले थे। उन्होंने कहा कि सोनीपत सीट पर चुनाव हारने का मूल कारण यह था कि पार्टी के नेता यहां अति आत्मविश्वास में थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लग रहा था कि भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है और यह कांग्रेस के पक्ष में जाएगी और उन्हें यह भी लग रहा था कि सहानुभूति वोट भी सुरेंद्र पंवार के पक्ष में जाएंगे, लेकिन दोनों ही गलत साबित हुए।
उन्होंने दावा किया कि इसके अलावा भाजपा जमीनी स्तर पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में भी सफल रही।