September 4, 2025
Punjab

फिरोजपुर राहत शिविरों में स्कूली बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं

Special classes for school children in Ferozepur relief camps

बाढ़ के कारण शिक्षा प्रभावित न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए फिरोजपुर जिला प्रशासन ने राहत शिविरों में रह रहे स्कूली बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं शुरू की हैं।

उपायुक्त दीपशिखा शर्मा ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य न केवल उनकी शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करना है, बल्कि उन्हें “अराजक समय में मानसिक रूप से लचीला और व्यस्त रखना” भी है। शर्मा ने आगे कहा, “शहरों में छात्रों के पास ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा तो है, लेकिन ये बच्चे इससे वंचित हैं।”

बारेके, फतेहगढ़ सभ्रां, दुलची के और बागे वाला गांव में स्थापित राहत शिविरों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 2 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए “मनोरंजक गतिविधियां” भी आयोजित कर रही हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) ऋचिका नंदा ने बताया कि लगभग 80 बच्चे प्रतिदिन ऐसे सत्रों में भाग ले रहे हैं। बच्चे सुबह 9.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक कक्षाओं में भाग लेते हैं, तथा शाम को एक घंटे का अतिरिक्त सत्र भी होता है।

इसके अलावा, चित्रकला, रंग भरना, संगीत और खेलकूद जैसी गतिविधियों की भी व्यवस्था की गई है।

बच्चों का उत्साह बनाए रखने के लिए झूले और खेल-कूद की व्यवस्था भी की गई है। डीपीओ ने बताया, “प्रत्येक केंद्र में दो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, दो सहायिका और एक पर्यवेक्षक तैनात हैं, साथ ही शिशुओं वाली माताओं के लिए विशेष बूथ भी बनाए गए हैं ताकि दूध पिलाने के दौरान उन्हें आराम मिले।”

बारेके स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कार्यरत शिक्षिका रजनी खन्ना ने बताया कि 42 बच्चे प्रतिदिन उनकी कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, जिनमें गणित, अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन जैसे विषय शामिल हैं।

टिंडीवाला की नौवीं कक्षा की छात्रा अमनदीप कौर ने कहा, “हमारी फसलों के नुकसान और हमारे माता-पिता के चेहरे पर चिंता के बावजूद, इन कक्षाओं में आने से हमें सकारात्मकता का एहसास होता है और सामान्य जीवन की भावना वापस आती है।”

दसवीं कक्षा की छात्रा पिंकी ने बताया कि राहत शिविर में पढ़ाई करने से उनकी पढ़ाई पटरी पर बनी रही। उप जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) सतिंदर सिंह ने बताया कि आस-पास के स्कूलों से दो शिक्षकों को शिविरों में पढ़ाने के लिए रोज़ाना बारी-बारी से तैनात किया गया है और वे बच्चों को नैतिक मूल्य और चुनौतियों से निपटने के जीवन कौशल भी सिखाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अभिभावकों और छात्रों ने इस पहल की व्यापक सराहना की है।’’

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