वॉशिंगटन, अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि भले ही नई दिल्ली ने पहले पैक्स सिलिका समिट में भाग नहीं लिया, लेकिन सुरक्षा और उन्नत तकनीकों के क्षेत्र में एक अत्यंत रणनीतिक और संभावनाओं से भरपूर साझेदार बना हुआ है। यह समिट अमेरिका के नेतृत्व में शुरू की गई एक नई पहल है, जिसका उद्देश्य वैश्विक सिलिकॉन और सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को सुरक्षित और मजबूत करना है।
आर्थिक मामलों के अवर सचिव जैकब हेलबर्ग ने अमेरिका में फॉरेन प्रेस सेंटर द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत की गैरमौजूदगी को वॉशिंगटन के साथ राजनीतिक तनाव से जोड़ने वाली अटकलें गलत थीं।
हेलबर्ग ने कहा, “मेरी समझ से भारत के पैक्स सिलिका समिट में हिस्सा न लेने के पीछे बहुत सारी अटकलें थीं। मैं यह साफ करना चाहता हूं कि ट्रेड अरेंजमेंट से जुड़ी अमेरिका और भारत के बीच बातचीत आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा को लेकर हमारी बातचीत से बिल्कुल अलग और समानांतर ट्रैक पर है। हम इन दोनों चीजों को मिला नहीं रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हम सप्लाई चेन सुरक्षा से जुड़े कामों में भारत को एक बहुत ही रणनीतिक सक्षम साझेदार के तौर पर देखते हैं और हम उनके साथ जुड़ने के मौके का स्वागत करते हैं।”
पिछले हफ्ते पैक्स सिलिका समिट लॉन्च किया गया। इस पहल का उद्देश्य सेमीकंडक्टर निर्माण और उन्नत तकनीक से जुड़ी सप्लाई चेन में अहम भूमिका निभाने वाले देशों के एक शुरुआती समूह को एक मंच पर लाना है। इस समूह में सिंगापुर, इजरायल, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश शामिल हैं।
यह फ्रेमवर्क वैश्विक सप्लाई चेन में मौजूद सिंगल पॉइंट ऑफ फेलियर को कम करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जो स्मार्टफोन और ऑटोमोबाइल से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक कई प्रमुख उद्योगों की रीढ़ है।
हेलबर्ग के अनुसार, यह पहल अमेरिका की व्यापक आर्थिक सुरक्षा रणनीति के चार प्रमुख स्तंभों—व्यापार का पुनर्संतुलन, संघर्षग्रस्त क्षेत्रों को स्थिर करने, अमेरिका का पुनः औद्योगिकीकरण करने और सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाने—के अनुरूप है।
उन्होंने कहा, “इसलिए हमने पैक्स सिलिका नाम की एक फ्लैगशिप पहल शुरू की, जिसका मकसद सिलिकॉन सप्लाई चेन को सुरक्षित करना है, जो कारों से लेकर स्मार्टफोन उद्योग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक, अत्याधुनिक तकनीकों की बुनियाद है।”
भारत को लेकर हेलबर्ग ने विशेष रूप से कहा कि नई दिल्ली के साथ अमेरिका का संवाद लगातार और सक्रिय बना हुआ है। उन्होंने बताया कि वे दिल्ली में अपने समकक्षों से लगभग रोजाना संपर्क में हैं और वॉशिंगटन भारत के साथ सहयोग को तेजी से और गहराई देने के तरीकों पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
इसके साथ ही उन्होंने उच्च स्तरीय बातचीत के मौके की ओर भी इशारा किया। हेलबर्ग ने कहा कि वह फरवरी में भारत एआई इम्पैक्ट समिट में शामिल होंगे। उन्होंने कहा, “इससे हमें व्यक्तिगत तौर पर मिलने का मौका मिलेगा और उम्मीद है कि कुछ ठोस हल निकलेगा।”
हेलबर्ग ने कहा कि वॉशिंगटन आर्थिक सुरक्षा मामलों पर अमेरिका और भारत के बीच हमारे आपसी सहयोग को और गहरा करने की योजना बना रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में पैक्स सिलिका से जुड़ी कोशिशों में भारत की भागीदारी एक असली संभावना बनी हुई है।
इससे पहले ब्रीफिंग में उन्होंने बताया कि पैक्स सिलिका देशों के शुरुआती समूहों को जानबूझकर सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाने वाले देशों तक ही सीमित रखा गया था, जैसे कि सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान और नीदरलैंड और फिर सप्लाई चेन में आगे बढ़कर जरूरी मिनरल जैसे क्षेत्रों तक बढ़ाया गया।
उन्होंने कहा कि यह पहल खरीदारों के बजाय सप्लाई पक्ष पर केंद्रित है, जो इसे मिनरल सिक्योरिटी साझेदारी जैसी पिछली कोशिशों से अलग बनाती है। हेलबर्ग ने पैक्स सिलिका समिट और घोषणा को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह पहली बार था जब देशों ने कंप्यूट, सिलिका और मिनरल को साझा रणनीतिक संपत्ति के तौर पर एक साथ इकट्ठा किया था।
उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि यह घोषणा नई विदेश नीति की आम सहमति को दिखाती है कि आर्थिक सुरक्षा ही राष्ट्रीय सुरक्षा है।”
पैक्स सिलिका को बढ़ावा सेमीकंडक्टर और एआई तकनीक को लेकर वैश्विक प्रतियोगिता बढ़ने के बीच दिया जा रहा है। इन क्षेत्रों को आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए जरूरी माना जाता है।
भारत ने घरेलू सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने के लिए इंसेंटिव स्कीम शुरू की है। भारत ने खुद को एक भरोसेमंद तकनीकी साझेदार के तौर पर स्थापित किया है और अमेरिका की रणनीतिक सोच में तेजी से शामिल हो रहा है।
भारत और अमेरिका ने हाल के सालों में इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी) जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए सहयोग बढ़ाया है, जो मजबूत सप्लाई चेन और उन्नत मैन्युफैक्चरिंग में साझा दिलचस्पी को दिखाता है।

