September 12, 2025
Entertainment

सामाजिक बहिष्कार मामले में श्रीलेखा मित्रा को हाईकोर्ट से मिली राहत, पुलिस को निर्देश

Srilekha Mitra gets relief from High Court in social boycott case, instructions to police

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सामाजिक बहिष्कार मामले में श्रीलेखा मित्रा को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने पुलिस को सख्त निर्देश देते हुए उनके घर के आस-पास लगे बहिष्कार के पोस्टर और बैनर को हटाने का आदेश दिया है। अगर अदालत के किसी आदेश की अवहेलना होती है, तो याचिकाकर्ता अदालत में फिर से शिकायत कर सकता है।

दरअसल, बंगाली अभिनेत्री श्रीलेखा मित्रा ने आरजी कर हत्याकांड के विरोध में हुए प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इसके बाद से ही उन्हें लगातार निशाना बनाया जा रहा था। सोशल मीडिया से लेकर उनके घर के आस-पास अभिनेत्री के सामाजिक बहिष्कार के पोस्टर लगा दिए गए थे।

इससे अभिनेत्री का मानसिक उत्पीड़न हो रहा था, जिसके चलते उन्होंने एक याचिका दायर कर इस तरह की हरकतों से खुद की सुरक्षा की अपील की थी।

श्रीलेखा मित्रा ने इस याचिका में दावा किया था कि उन्हें सोशल मीडिया पर धमकियां मिल रही हैं और उनका सामाजिक बहिष्कार करने की कोशिश की जा रही है।

इस मामले की सुनवाई करते हुए गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अधिकृत पुलिस थाने को केएमसी की मदद से अभिनेत्री के घर के आसपास लगे सभी पोस्टर और बैनर हटाने का निर्देश दिया। यही नहीं, अगर उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर बहिष्कार संदेश वाली कोई पोस्ट है, तो उसे भी हटाना होगा। इस मामले में मेटा इंक और गूगल इंडिया को भी पक्षकार बनाया गया है।

अदालत ने यह भी कहा कि अगर उनके आदेश की अवहेलना होती है, तो याचिकाकर्ता अदालत में फिर से शिकायत कर सकता है। इस मामले में राज्य सरकार 24 नवंबर तक हलफनामा दाखिल कर सकती है। यह केस दिसंबर की मासिक सूची में सूचीबद्ध होगा।

इस साल 9 अगस्त को आरजी कर घटना की पहली बरसी पर अभिनेत्री ने एक विरोध रैली में हिस्सा लिया था। श्रीलेखा मित्रा ने यहां राज्य सरकार के खिलाफ सवाल उठाए थे कि एक साल बाद भी पीड़िता और उसके माता-पिता को न्याय क्यों नहीं मिल रहा है।

इसके बाद दक्षिण कोलकाता के बेहला इलाके में उनके घर के बाहर श्रीलेखा के खिलाफ नारे लिखे कई बैनर और पोस्टर चिपकाए गए हैं। इस मामले में हरिदेवपुर थाने में ईमेल के जरिए शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

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