हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फतेहाबाद के भूना ब्लॉक में किसानों को पराली प्रबंधन के बारे में जागरूक करने के लिए एक जागरूकता अभियान चलाया। वैज्ञानिक दीपक कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने गोरखपुर, नेहला और देहमान गाँवों का दौरा किया और किसानों को फसल अवशेष (पराली) जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में बताया और उन्हें सरकार द्वारा समर्थित विकल्पों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
अभियान के दौरान, अधिकारियों ने बताया कि पराली जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है। खेतों में पराली जलाने से निकलने वाला धुआँ वायु को प्रदूषित करता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए।
किसानों को पराली प्रबंधन के वैकल्पिक तरीकों से परिचित कराया गया, जैसे मल्चर, हैप्पी सीडर और सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम। टीम ने किसानों को इन मशीनों की खरीद पर मिलने वाली सरकारी सब्सिडी के बारे में भी बताया, जिससे उनके लिए पर्यावरण-अनुकूल समाधान अपनाना आसान हो गया।
वैज्ञानिक दीपक कुमार ने बताया कि पराली जलाने के बजाय, किसान उसे प्राकृतिक रूप से सड़ने दे सकते हैं या मशीनों से उसका प्रबंधन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे मिट्टी की सेहत बेहतर होगी और अगले सीज़न में बेहतर फसल पैदावार मिलेगी।
ग्राम प्रधानों और स्थानीय निवासियों ने इस पहल का स्वागत किया तथा भविष्य में पराली न जलाने तथा स्वच्छ कृषि पद्धतियों का समर्थन करने का संकल्प लिया।
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