पानीपत, 18 अगस्त आवारा पशुओं के खतरे को नियंत्रित करने के नगर निगम (एमसी) के बड़े-बड़े दावे धराशायी हो गए हैं, क्योंकि आवारा पशुओं के झुंड एनएच-44 और ‘वस्त्र नगरी’ की आंतरिक सड़कों पर खुलेआम घूमते देखे जा सकते हैं।
मानसून के दौरान स्थिति और भी खराब हो जाती है क्योंकि आवारा पशु सड़कों पर बैठे रहते हैं, जिससे यात्रियों को खतरा होता है, खासकर रात के समय। जब ये पशु अचानक सड़क पर आ जाते हैं, तो दोपहिया वाहन चालक विशेष रूप से खतरे में पड़ जाते हैं क्योंकि वे संतुलन खो देते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।
आवारा पशुओं के झुंड असंध रोड, जाटल रोड, गोहाना रोड, एनएच-44 के अलावा शहर के अंदर की सड़कों और बाहरी इलाकों में भी देखे जा सकते हैं।
आवारा पशुओं के आतंक का शिकार कई लोग हो चुके हैं। पिछले दो वर्षों में आवारा पशुओं से जुड़ी दुर्घटनाओं में मरने वालों में 22 वर्षीय नेपाली युवक हरीश भी शामिल है, जिसकी हाल ही में असंध रोड फ्लाईओवर पर आवारा पशु की चपेट में आने से मौत हो गई थी।
इस दौरान दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में बुरश्याम निवासी कबड्डी खिलाड़ी आशु, सौदापुर गांव के बस स्टैंड के पास मरने वाला एमडीयू का छात्र अमित, झट्टीपुर गांव निवासी रानी, सेक्टर 6 के पास एनएच-44 पर दुर्घटना में मरने वाला पुरेवाल कॉलोनी निवासी मनप्रीत उर्फ मन्नी, एकता कॉलोनी निवासी बुजुर्ग महिला शीला, विराट नगर निवासी देवी तथा आवारा पशुओं के कारण हुई दुर्घटना में जान गंवाने वाला नेपाली युवक अजय भी शामिल है।
इसके अलावा आवारा पशुओं से जुड़ी दुर्घटनाओं में कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं।
कचरा व्यापारी सौरभ खुराना ने इसे कभी न खत्म होने वाली समस्या बताते हुए कहा कि बरसात के मौसम में ये जानवर गीली जमीन से बचने के लिए सड़क के बीच या किनारे पर बैठ जाते हैं। उन्होंने मांग की कि नगर निगम को इन आवारा जानवरों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए।
शहर के व्यवसायी पंकज अनेजा ने बताया कि शहर में आवारा पशुओं की समस्या बहुत बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार नगर निगम ने आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए एजेंसी को 1,097 रुपए प्रति पशु का टेंडर आवंटित किया है।
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