नई दिल्ली, 13 दिसंबर । जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने छात्रों के लिए एक आचार संहिता जारी की है, जिसे लेकर छात्रों ने अपना विरोध जताया है। छात्रों व कई छात्र संगठनों का कहना है इस आचार संहिता में कुछ तानाशाही वाले नियम शामिल हैं। आचार संहिता में छात्रों के धरना प्रदर्शन करने आदि पर प्रतिबंध एवं जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
विश्वविद्यालय के छात्रों का कहना है कि वे आचार संहिता को छात्रों के मौलिक अधिकारों का हनन व छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज को दबाने का प्रयास मानते हैं। इस नियमावली में यह भी कहा गया है कि देश विरोधी नारे लगाने पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा।
इस पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) का कहना है कि क्या दस हजार रुपये देकर इतने गंभीर आपराधिक कृत्य को जेएनयू प्रशासन माफ़ कर देगा, क्या इस राशि का भुगतान कर देशविरोधियों को देश के विरुद्ध नारे लगाने की स्वतंत्रता जेएनयू प्रशासन देगा।
अभाविप का कहना है कि उनका स्पष्ट मत है कि संवैधानिक मांगों के साथ अपनी आवाज उठाना और प्रदर्शन करना छात्रों का मौलिक अधिकार है। इस प्रकार तानाशाही पूर्ण नियमावली लाने से उन्हें अपने अधिकारों के विषय में पक्ष रखने का उचित माध्यम नहीं मिलेगा।
अभाविप का मानना है कि देश विरोधी नारे लगाने जैसे अत्यंत ही गंभीर अपराध को बहुत सामान्य बना देने का प्रयास जेएनयू प्रशासन द्वारा इस नियमावली के माध्यम से किया गया है।
अभाविप जेएनयू के अध्यक्ष उमेश चन्द्र अजमीर का कहना है कि यह आचार संहिता छात्रों के हित में नहीं है। यह छात्रों के सकारात्मक और संवैधानिक अधिकारों एवं मांगों के लिए संगठित होने और अपनी आवाज उठाने से रोकता है, जो पूर्णतया असंवैधानिक है। साथ ही देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों पर गंभीर दंड नियमावली बनाने की आवश्यकता है। जबकि, प्रशासन ने इस देश की सुरक्षा से जुड़े अपराध को धन उगाही का साधन बना लिया है। इससे सामान्य अपराधों की श्रेणी में डाल है।
अभाविप प्रशासन से आचार संहिता को वापस लेने की मांग करता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान नहीं करती और छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय उसका हनन करती है।
जेएनयू के कुछ अन्य छात्रों का कहना है कि यह संहिता स्पष्ट रुप से यह दर्शाता है कि कैसे जेएनयू प्रशासन देशद्रोही नारा लगाने वाले छात्राें का समर्थन कर रही है। जहां पर देशद्रोही नारे लगाने पर छात्रों को यूनिवर्सिटी से बाहर कर देना चाहिए एवं उन पर न्यायिक जांच करवानी चाहिए, वहीं पर यह तानाशाह जेएनयू प्रशासन उनसे देशद्रोही नारे लगाने का शुल्क वसूल कर उन्हें माफ़ कर दे रही है और ऐसे अपराध दोबारा करने की छूट दे रही है।