शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आज केंद्र सरकार से बासमती के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को 950 डॉलर प्रति टन से घटाकर 750 डॉलर प्रति टन करने का आग्रह किया ताकि बासमती किसानों को बेहतर कीमत सुनिश्चित करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में किस्म की प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो सके।
यहां एक बयान में शिअद अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि इस वर्ष बंपर फसल की उम्मीद है, लेकिन यदि सरकार इस चावल की किस्म के लिए एमईपी की समीक्षा नहीं करती है तो बासमती किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की मंशा को पूरा करने के लिए भी यह आवश्यक है।’’
सुखबीर बादल ने कहा कि बासमती निर्यातक इस वर्ष किसानों से बासमती खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि पिछले दो वर्षों से प्रतिबंधात्मक निर्यात नीतियों के कारण उनके गोदाम भरे हुए हैं।
“उद्योगपति मौजूदा एमईपी पर निर्यात करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि पाकिस्तान 750 डॉलर प्रति टन के एमईपी पर उत्पाद निर्यात कर रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय बासमती बाजार पर भी असर पड़ा है और अनिश्चितता पैदा हुई है।”
उन्होंने कहा कि बासमती पर एमईपी की समीक्षा से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और देश में कीमतों में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे पंजाब और हरियाणा सहित उत्तरी क्षेत्र के किसानों को मदद मिलेगी।
बादल ने इसके साथ ही गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध तथा उबले चावल के निर्यात पर लगाए गए 20 प्रतिशत शुल्क को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जहां देश बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खो रहा है, वहीं कीमतों में स्थिरता के कारण किसान भी आर्थिक संकट में हैं।
श्री बादल ने कहा, “हमें किसानों के कल्याण के लिए वर्तमान प्रतिबंधों को हटाकर बासमती चावल के साथ-साथ गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति देनी चाहिए।”