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सुलक्षणा पंडित को जितनी शोहरत और पहचान मिलनी चाहिए थी, उतनी नहीं मिल पाई- पूनम ढिल्लों

Sulakshana Pandit did not get the fame and recognition she deserved – Poonam Dhillon

बॉलीवुड की सत्तर और अस्सी के दशक में अपनी खूबसूरती, मधुर आवाज और बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाली दिग्गज अभिनेत्री और गायिका सुलक्षणा पंडित का निधन हो गया। उन्होंने गुरुवार को मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।

अभिनेत्री का अंतिम संस्कार मुंबई में किया गया, जहां फिल्म जगत के कई जाने-माने कलाकार उपस्थित रहे। सभी ने नम आंखों से विदाई दी। इस मौके पर बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री पूनम ढिल्लों भी पहुंची।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए अपनी भावनाएं साझा की और कहा, ”सुलक्षणा एक बेहतरीन अभिनेत्री और अद्भुत गायिका थीं। उन्होंने अपने जीवन में बहुत मुश्किलों का सामना किया। शुरुआती दिनों में सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, लेकिन धीरे-धीरे उनकी हालत बदतर होती चली गई।”

पूनम ढिल्लों ने कहा कि सुलक्षणा को जितनी शोहरत और पहचान मिलनी चाहिए थी, उतनी नहीं मिल पाई, जबकि उनके अंदर असाधारण प्रतिभा थी। पूनम ने आगे कहा, ”सुलक्षणा के परिवार ने, खासकर उनकी बहन विजयता पंडित और भाइयों जतिन-ललित ने, उनके आखिरी दिनों तक उनकी अच्छे से देखभाल की।”

पूनम ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ”मैं हमेशा विजयता से कहती रही हूं कि भगवान हर किसी को तुम्हारे जैसी बहन दे। मैं बस यही प्रार्थना करती हूं कि सुलक्षणा जहां भी हों, उन्हें शांति मिले।”

सुलक्षणा की बात करें तो उनका जन्म संगीत से जुड़े परिवार में हुआ था। वे मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की भतीजी थीं। उनके परिवार में कला और संगीत का माहौल शुरू से था। उनकी बहन विजयता पंडित ने भी फिल्मों में अभिनय किया, और उनके भाई जतिन-ललित हिंदी सिनेमा की मशहूर संगीतकार जोड़ी बने। सुलक्षणा ने अपने करियर की शुरुआत गायिका के रूप में की थी। उनका पहला लोकप्रिय गाना 1967 में आई फिल्म तकदीर का ‘सात समंदर पार से’ था, जिसे उन्होंने लता मंगेशकर के साथ गाया था। इस गाने ने उन्हें पहचान दिलाई और संगीत जगत में उनकी जगह मजबूत की।

गायन के बाद उन्होंने अभिनय की ओर रुख किया और 1975 में फिल्म ‘उलझन’ में अहम किरदार निभाया। इसके बाद वह ‘हेरा फेरी’, ‘वक्त की दीवार’, ‘अपनापन’, और ‘खानदान’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। उन्होंने अपने समय के दिग्गज कलाकारों राजेश खन्ना, जितेंद्र, विनोद खन्ना, शशि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ काम किया। अपने अभिनय के साथ-साथ उन्होंने गायकी में भी योगदान जारी रखा और 1976 में फिल्म ‘संकल्प’ के गीत ‘तू ही सागर तू ही किनारा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

सुलक्षणा का आखिरी प्लेबैक सॉन्ग 1996 में आई फिल्म ‘खामोशी: द म्यूजिकल’ के लिए था, जिसका संगीत उनके भाइयों जतिन-ललित ने तैयार किया था। इसके बाद वह धीरे-धीरे फिल्मी दुनिया से दूर होती चली गईं।

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