January 31, 2025
National

सुल्तान महमूद गजनवी ने अल-बेरूनी को बनाया था कैदी, जब भारत आए तो लिख डाली ‘किताब-उल-हिन्द’

Sultan Mahmud Ghaznavi had made Al-Beruni a prisoner, when he came to India he wrote ‘Kitab-ul-Hind’

नई दिल्ली, 14 सितंबर । भारत विश्‍व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, जिसकी धरती पर सैकड़ों सालों के दौरान न जाने कितने लोग आए और गए। कोई यहां की खूबसूरती और संस्कृति का कायल हुआ तो किसी ने भारत की विरासत को मिटाने की कोशिश की। लेकिन, इसके बावजूद भारत आज भी अपनी पुरानी परंपरा और रीति रिवाज को बरकरार रखे हुए हैं।

यहां, जाति-धर्म, ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी से परे एक ऐसी चीज है, जो सबको एक साथ जोड़ती है, वो है हमारी संस्कृति। आज हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं उन्होंने अपनी लेखनी से इन तमाम पहलुओं से रूबरू कराया। अल-बेरूनी को भारतीय इतिहास का पहला जानकार भी कहा जाता था। अल-बेरूनी ने 146 किताबें लिखीं, जिनमें खगोल शास्त्र पर 35, ज्योतिष शास्त्र पर 23, गणित पर 15 और साहित्यिक विषय पर करीब 16 किताबें शामिल हैं।

15 सितंबर 973 को जन्मे बेरूनी एक फारसी विद्वान् लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ और विचारक थे। बताया जाता है कि जिस जगह से अल-बेरूनी आते थे, उस शहर को 1017 ई. में महमूद गजनवी ने जीत लिया था। जब सभी लोगों को कैदी बनाया गया तो अल-बेरूनी भी उनमें से एक थे। हालांकि, सुल्तान महमूद गजनवी उनसे बहुत प्रभावित हुआ और बाद में उन्हें भी अपने साथ ले लिया।

अल-बेरूनी, महमूद गजनवी की सेना के साथ भारत भी आए और कई सालों तक पंजाब में रहे। भारत में रहकर उन्होंने यहां की संस्कृति को बारीकी से जाना और हिंदू दर्शन और दूसरे विषयों पर अध्ययन भी किया। इसी के आधार पर उन्होंने ‘तहकीक-ए-हिन्द’ (किताब-उल-हिन्द) नामक पुस्तक लिखी, जो साल 1030 में लिखी गई थी। इसी किताब में उन्होंने भारत में हिंदुओं से जुड़े इतिहास, चरित्र, परंपरा और अन्य पहलुओं को बयां किया।

अल-बेरूनी को भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। उनका असली नाम ‘अबू रेहान मुहम्मद’ था, लेकिन उन्हें पहचान मिली अल-बेरूनी नाम से। अल-बेरूनी के बारे में बताया जाता है कि वह अरबी, फारसी, तुर्की, संस्कृत, गणित, खगोल के जानकार थे। उन्होंने ही धरती की रेडियस नापने का एक आसान फॉर्मूला बनाया था। उन्होंने यह भी साबित किया कि प्रकाश की गति, ध्वनि की गति से अधिक होती है। उनकी मौत 13 दिसंबर 1048 को अफगानिस्तान के गजनी शहर में हुई थी।

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