November 26, 2024
National

सुप्रीम कोर्ट ने डीएचएफएल ऋण धोखाधड़ी मामले में वधावन बंधुओं की डिफ़ॉल्ट जमानत रद्द कर दी

नई दिल्ली, 24 जनवरी । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 34,615 करोड़ रुपये के दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) ऋण धोखाधड़ी मामले में कंपनी के पूर्व निदेशकों कपिल और धीरज वधावन को दी गई डिफॉल्ट जमानत को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “प्रतिवादी-अभियुक्त आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 (2) के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत के वैधानिक अधिकारों का दावा इस आधार पर नहीं कर सकते कि अन्य आरोपियों की जांच लंबित है।”

पीठ ने कहा कि अगर वधावन बंधुओं को डिफॉल्ट जमानत देने वाले आदेश के अनुसार रिहा कर दिया गया है तो उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने सीबीआई द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि विशेष अदालत और उच्च न्यायालय दोनों ने कानून संबंधी गंभीर गलतियां की हैं।

अपने मई 2023 के आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने राउज़ एवेन्यू के विशेष न्यायाधीश द्वारा सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत देने के आदेश को बरकरार रखा था।

विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने दिसंबर 2022 में वधावन बंधुओं को यह कहते हुए वैधानिक जमानत दे दी कि निर्धारित समय के भीतर दायर आरोप पत्र अधूरा है और इसलिए वे कानून के अनुसार अनिवार्य जमानत के हकदार थे।

डीएचएफएल, इसके पूर्व सीएमडी कपिल वधावन, एमडी धीरज वधावन और सरकारी अधिकारियों समेत अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी के साथ पठित 409, 420, 477-ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के साथ धारा 13(1)(डी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व में 17 बैंकों के कंसोर्टियम को 42,871.42 करोड़ रुपये के भारी ऋण स्वीकृत करने के लिए प्रेरित करने का आरोप था।

आरोपी ने कथित तौर पर डीएचएफएल की खाताबही में हेराफेरी करके उक्त धनराशि के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गबन और दुरुपयोग किया और वैध बकाया के पुनर्भुगतान में बेईमानी से चूक की, जिससे कंसोर्टियम ऋणदाताओं को 34,615 करोड़ रुपये का गलत नुकसान हुआ।

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