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जाली कागजात का उपयोग कर बैंक ऋण लेने के आरोपी को जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Supreme Court refuses to grant bail to accused of taking bank loan using fake documents

नई दिल्ली, 19 जून । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फर्जी कागजातों के आधार पर बैंक ऑफ बड़ौदा से बतौर ऋण 2.50 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने के आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।

जस्टिस विक्रम नाथ और एस.वी.एन. भट्टी की अवकाश पीठ ने आरोपी अजहर खान को जमानत देने से इनकार करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।

अपने फैसले में, उच्च न्यायालय ने कहा था कि आरोपी ने न केवल नकली पहचान बताकर बैंक को धोखा दिया, बल्कि ऋण लेने के लिए फर्जी व्यक्तियों के नाम पर जाली और मनगढ़ंत दस्तावेज भी बनाए।

न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने पांच फरवरी को दिए अपने फैसले में कहा, “दो सह-आरोपी फरार हैं, जबकि एक ने इस अदालत द्वारा दी गई अंतरिम जमानत का उल्लंघन किया है। इन तीनों सह-आरोपियों को घोषित अपराधी घोषित किया गया है। आवेदक ढाई साल से हिरासत में है, फिलहाल उसे जमानत पर रिहा करने का कोई मामला नहीं बनता है।”

बैंक ने अपनी आंतरिक जांच में पाया कि आरोपियों द्वारा बताए गए कार्यालयों और आवासों के पते फर्जी थे। यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने ऋण प्राप्त करने के लिए केवीएस ऑटोमोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक अन्य बैंक में खाता खोला था। लेकिन यह फर्जी पाया गया, क्योंकि दिए गए पते पर ऐसी कोई कंपनी या शोरूम नहीं था। ऋण प्राप्त करने के बाद, आरोपियों ने कोई कार नहीं खरीदी, इसके बजाय एटीएम के माध्यम से सारा पैसा निकाल लिया या उन्हें अन्य खातों में स्थानांतरित कर दिया।

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