N1Live Haryana सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को ‘अमानवीय आचरण’ के लिए फटकार लगाई
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को ‘अमानवीय आचरण’ के लिए फटकार लगाई

Supreme Court reprimands Enforcement Directorate for 'inhuman conduct'

उच्चतम न्यायालय ने कथित अवैध खनन से जुड़े धन शोधन मामले में हरियाणा के पूर्व कांग्रेस विधायक सुरेन्द्र पंवार की गिरफ्तारी को रद्द करने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है तथा 15 घंटे तक उनसे पूछताछ करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को “अत्याचार” और “अमानवीय आचरण” के लिए फटकार लगाई है।

न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति एजी मसीह की खंडपीठ ने गुरुवार को एक आदेश में कहा, “प्रतिवादी से जुड़े मामले के तथ्यों को देखते हुए हम उच्च न्यायालय के इस निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं कि प्रतिवादी की गिरफ्तारी अवैध थी। उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निष्कर्ष केवल इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए हैं कि प्रतिवादी की गिरफ्तारी अवैध थी या नहीं।”

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि ये निष्कर्ष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 44 के तहत लंबित शिकायत के गुण-दोष को प्रभावित नहीं करेंगे।

पीठ ने पंवार के बारे में कहा, “इस तरह के मामले में लोगों के साथ व्यवहार करने का यह तरीका नहीं है। आपने (ईडी) वस्तुत: एक व्यक्ति को बयान देने के लिए मजबूर किया है।” पंवार को पिछले साल जुलाई में करीब 15 घंटे पूछताछ के बाद रात 1.40 बजे गिरफ्तार किया गया था।

पीठ ईडी के वकील की इस दलील से सहमत नहीं थी कि उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी करके गलती की है कि पंवार से लगातार 14.40 घंटे तक पूछताछ की गई और पूछताछ के दौरान भोजन का अवकाश भी था।

यह देखते हुए कि “अवैध खनन” खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम) की धारा 21 के तहत एक अपराध है, हाईकोर्ट ने सितंबर में बताया था कि न तो “अवैध खनन” और न ही एमएमडीआर अधिनियम पीएमएलए के साथ संलग्न अनुसूची के अंतर्गत शामिल है। यह मानते हुए कि “अवैध खनन” पीएमएलए के तहत “अनुसूचित अपराध” नहीं है, इसने कहा था कि प्रथम दृष्टया, ईडी द्वारा पंवार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

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