सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जारी कुछ टिप्पणियों पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभरवाल के खिलाफ उच्च न्यायालय की टिप्पणी पर रोक लगाते हुए कहा, “पक्ष के खिलाफ कुछ भी कहा जा सकता है। लेकिन वकील के खिलाफ कड़ी टिप्पणी नहीं की जा सकती।”
यह आदेश हरियाणा सरकार द्वारा उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर आया, जिसमें कहा गया था कि सभरवाल ने एक आरोपी की मेडिकल जमानत याचिका का विरोध करने के लिए भ्रामक प्रस्तुतियां दी थीं।
उच्च न्यायालय ने 31 जनवरी के अपने आदेश में कहा था, “तथ्यों को दबाना, गलत बयानी करना या किसी भी तरह से न्यायालय को गुमराह करना अभियोजन नैतिकता का गंभीर उल्लंघन और न्यायिक निष्ठा का अपमान है।” सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश तब आया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हरियाणा सरकार की ओर से दलील दी कि उच्च न्यायालय को विधि अधिकारी के खिलाफ इस तरह का आदेश पारित नहीं करना चाहिए था।