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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर 1,200 करोड़ का जुर्माना लगाने के एनजीटी के आदेश पर रोक लगाई

Supreme Court stays NGT order imposing fine of Rs 1,200 crore on Maharashtra government

नई दिल्ली, 28 नवंबर  । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अनुचित सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन) के लिए महाराष्ट्र राज्य को 1,200 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई थी।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति जेबी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी किया और इस बीच एनजीटी द्वारा जारी किए गए आदेश के लागू होने पर रोक लगा दी।

पिछले साल सितंबर में पारित एक आदेश में, चेयरपर्सन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने पर्यावरण की बहाली के लिए दो महीने के भीतर एक अलग रिंग-फेंस्ड खाते में जमा करने के लिए 12,000 करोड़ रुपये की देनदारी निर्धारित की थी। इस पीठ में ग्रीन ट्रिब्यूनल के विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।

ट्रिब्यूनल ने यह कहते हुए समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी कि ‘समीक्षा आवेदन कोई ठोस आधार नहीं बताता है और यह मुआवजा देने में असमर्थता की अभिव्यक्ति मात्र है।’

निरंतर प्रदूषण राज्य और उसके अधिकारियों द्वारा एक गंभीर अपराध है जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है। देनदारी पहले ही जमा हो चुकी है, केवल यह बयान देना कि राज्य धन की व्यवस्था करने में असमर्थ है, तर्कसंगत दलील नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार आदेश पारित किए हैं कि एनजीटी को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे से निपटने की जरूरत है।

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