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सुप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन सिंह से कहा : पासपोर्ट जमा करें, हर पखवाड़े पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करें

Supreme Court tells Anand Mohan Singh: Submit passport, report to police station every fortnight

नई दिल्ली,7 फरवरी । बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह को तुरंत अपना पासपोर्ट जमा करने को कहा। साथ ही कहा, स्थानीय पुलिस स्टेशन में हर पखवाड़े रिपोर्ट करें। याचिका मारे गए आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की विधवा ने दायर की थी।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया, “प्रतिवादी नंबर 4 (आनंद मोहन सिंह) को अपना पासपोर्ट स्थानीय पुलिस स्टेशन में जमा करने का निर्देश दिया जाता है और वह हर पखवाड़े उक्त पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।”

पीठ में न्यायमूर्ति के.वी. विश्‍वनाथन भी शामिल थे। पीठ ने यह कहते हुए कि वह आगे कोई अवसर नहीं देगी, केंद्र सरकार से कहा कि अगर जरूरी हो तो एक सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करें।

मारे गए नौकरशाह की विधवा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने केंद्र के चार सप्ताह के अतिरिक्त समय के अनुरोध का विरोध किया और कहा कि मामले को किसी न किसी कारण से पीछे नहीं धकेला जा सकता है।

लूथरा ने कहा कि केंद्र सरकार को पिछले साल मई में एक नोटिस जारी किया गया था और याचिका की एक प्रति भारत के अटॉर्नी जनरल के कार्यालय को भी दी गई थी।

मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को तय की गई है।

पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी, 2024 को तय की थी।

बिहार जेल नियमावली में संशोधन के बाद आनंद मोहन सिंह को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया।

मारे गए आईएएस अधिकारी की विधवा द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिहार सरकार ने 2012 के बिहार जेल मैनुअल में पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधन किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आनंद मोहन सिंह को छूट का लाभ मिल जाए।

बिहार सरकार ने यह कहकर उनकी रिहाई का बचाव किया है कि संशोधित छूट नीति का लाभ अन्य मामलों में भी बढ़ाया गया है, यह कहते हुए कि संशोधन में पीड़ित की स्थिति के आधार पर भेदभाव दूर करने की मांग की गई है।

साल 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट कृष्णैया को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था, जब उनके वाहन ने गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस से आगे निकलने की कोशिश की थी। कथित तौर पर भीड़ को आनंद मोहन सिंह ने उकसाया था।

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