नई दिल्ली, 6 अगस्त । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन से कहा कि उन्हें अपने अपमानजनक बयानों के लिए सभी प्रमुख अखबारों में माफी प्रकाशित करनी होगी। इसका खर्च उन्हें खुद उठाना होगा।
एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में, डॉ. अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया था, जो पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में एलोपैथी चिकित्सकों के खिलाफ थीं।
उन्होंने कहा कि ये टिप्पणियां बहुत अस्पष्ट और सामान्य थीं, जिसने डॉक्टरों का मनोबल गिराया।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने आईएमए प्रमुख को आईएमए कोष से नहीं, बल्कि अपने खर्च से माफी प्रकाशित करने को कहते हुए कार्यवाही स्थगित कर दी, ताकि उन्हें अदालत की अवमानना की कार्यवाही से खुद को मुक्त करने के लिए कदम उठाने की अनुमति मिल सके।
इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए की मासिक पत्रिका और इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर अशोकन की ओर से जारी माफीनामे पर संज्ञान लिया था।
पतंजलि ने आईएमए अध्यक्ष के खिलाफ एक बहुत परेशान करने वाला इंटरव्यू देने के लिए अवमानना की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था। पतंजलि का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था, ”आईएमए अध्यक्ष कहते हैं कि अदालत ने हमारी ओर उंगलियां क्यों उठाई हैं और अदालत दुर्भाग्यपूर्ण बयान दे रही है… यह अदालत की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है।”
शुरुआत में, आईएमए ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के उल्लंघन के लिए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। यह विधेयक मधुमेह, हृदय रोग, उच्च या निम्न रक्तचाप और मोटापे सहित कई बीमारियों और विकारों के उपचार के लिए कुछ उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है।
आयुर्वेदिक कंपनी ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह अपने उत्पादों की औषधीय प्रभावकारिता का दावा करते हुए कोई भी अनौपचारिक बयान नहीं देगी, न ही कानून का उल्लंघन करते हुए उनका विज्ञापन या ब्रांडिंग करेगी तथा किसी भी रूप में मीडिया में किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ कोई बयान जारी नहीं करेगी।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि ने उन उत्पादों की बिक्री और विज्ञापन वापस ले लिए जिनके विनिर्माण लाइसेंस उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने इस वर्ष अप्रैल में निलंबित कर दिए थे।
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