कुत्ते के काटने के मामलों में बढ़ोतरी के बीच पंचकूला के लोग शहर में इम्यून ग्लोब्युलिन दवा की अनुपलब्धता से परेशान हैं। कुत्ते के गंभीर काटने के बाद एंटी-रेबीज-वैक्सीन के साथ यह दवा दी जाती है। जरूरी इंजेक्शन लगवाने के लिए लोगों को चंडीगढ़ जाना पड़ रहा है।
जिला स्वास्थ्य विभाग के पास एआरवी की सप्लाई है, लेकिन इम्यून ग्लोब्युलिन दवा नहीं है। यह दवा तेजी से निष्क्रिय प्रतिरक्षा सुरक्षा प्रदान करती है। यह गंभीर श्रेणी तीन और चार के काटने के लिए जरूरी है।
एक निवासी ने कहा, “कुत्ते के काटने वाले पीड़ित को एंटी-रेबीज वैक्सीन लगाने की जरूरत होती है। लेकिन कुत्ते के गंभीर काटने वाले व्यक्तियों को इम्यून ग्लोब्युलिन दवा देने की जरूरत होती है। पिछले वर्षों में शहर में कुत्ते के काटने के बड़ी संख्या में मामले सामने आने के बावजूद राज्य स्वास्थ्य विभाग यहां दूसरी दवा उपलब्ध कराने में विफल रहा है।”
जिला स्वास्थ्य विभाग, पंचकूला से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष छह महीनों में 5,699 मामले दर्ज किए गए, यानी हर महीने औसतन 950 कुत्ते काटने के मामले।
सेक्टर 11 की निवासी रितु, जिनके पति गगन को जून में एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था, ने कहा, “कुत्ते ने मेरे पति के पैर में काट लिया। हम उन्हें सेक्टर 6 के सरकारी अस्पताल में ले गए। लेकिन जब उन्हें एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई, तो अस्पताल में इम्यून ग्लोब्युलिन दवा की कोई आपूर्ति नहीं थी। हमें उन्हें चंडीगढ़ के सेक्टर 32 के सरकारी अस्पताल और बाद में सेक्टर 16 के सरकारी अस्पताल में ले जाना पड़ा। हम अपने बच्चों को पार्कों और खुले में खेलने के लिए भेजने से डरते हैं।”
इस मामले पर हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष और पंचकूला के विधायक ज्ञान चंद गुप्ता की अध्यक्षता में एक बैठक के दौरान चर्चा की गई थी। संपर्क करने पर पंचकूला की मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुक्ता कुमार ने कहा कि पंचकूला में एंटी-रेबीज वैक्सीन उपलब्ध है और सभी रोगियों को दी जा रही है हमने इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को पहले ही पत्र लिख दिया है।’