शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा संसदीय चर्चा के दौरान तमिलनाडु के सांसदों को “असभ्य” कहने के विरोध में तमिलनाडु के सांसदों ने मंगलवार को संसद भवन के बाहर धरना दिया। एमडीएमके सांसद दुराई वाइको, डीएमके सांसद कनी मोझी ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से माफी मांगने को कहा तो टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने तमिल सांसदों का समर्थन किया।
एमडीएमके सांसद दुराई वाइको ने कहा, “1965 के विरोध में हजारों छात्रों को गोली मार दी गई थी। हमारे मुख्यमंत्री ने रेजोल्यूशन पास कर दिया था कि तमिलनाडु सिर्फ दो भाषाओं को लागू करेगा। हमें हिंदी नहीं चाहिए। हम हिंदी को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। यह बैकग्राउंड है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बड़े ही घमंड में तमिल सांसदों को असभ्य कहा। तमिलनाडु के लोगों को ऐसा कहने की उनकी हिम्मत कैसे पड़ी। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। हम सदन में कुछ नहीं होने देंगे। हमें उनकी माफी चाहिए।”
डीएमके सांसद कनी मोझी ने कहा, “शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलों की भावनाओं को आहत किया है। साथ ही उन्होंने तमिलनाडु के जनप्रतिनिधियों का भी अपमान किया है। जो उन्होंने कहा उसे न बढ़ाते हुए हम उनसे माफी की उम्मीद करते हैं। हमने उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दाखिल किया। हम स्पीकर से इसे स्वीकार करने और कार्रवाई की अपील करते हैं।”
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “तृणमूल कांग्रेस डीएमके के स्टैंड का समर्थन करती है। आज मैं सदन में मौजूद था। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया वह संसद की भाषा के अनुकूल नहीं था। कोई केंद्रीय मंत्री इस तरीके की भाषा का इस्तेमाल करेगा, यह एकदम भौचक्का करने वाला था। यह तमिलनाडु के लोगों को नीचा दिखाने के लिए किया गया था। उन्हें या तो खुद से माफी मांगनी चाहिए या उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से हटा देना चाहिए। प्रधानमंत्री को यह सुनना चाहिए कि उनके मंत्री क्या बोल रहे हैं।”
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